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ऐसे बचेंगे जंगल भी और जीव भी

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, शुक्रवार, 1 सितम्बर 2017 (14:36 IST)
सिएरा लियोन का गोला नेशनल पार्क खतरे में पड़ चुके 60 से अधिक जीवों और पौधों का बसेरा है। जंगल और जीव, दोनों की रक्षा हो सके, इसके लिए अब वन संरक्षक स्थानीय लोगों के लिए आय के नए साधन तैयार करने में जुटे हैं। सिएरा लियोन के गोला रेनफॉरेस्ट नेशनल पार्क लाइबेरिया की सीमा से कुछ ही किलोमीटर दूर है। रेंजर और वैज्ञानिकों की टीम काफी समय से यहां दुनिया के सबसे दुलर्भ जीवों में शुमार पिग्मी हिप्पोपोटैमस के निशान खोज रही है।
 
गोला नेशनल पार्क के चीफ रेंजर मुस्तफा वाई कहते हैं, "मैं पिग्मी हिप्पोपोटैमस को जिंदा देखना चाहता हूं। यह बहुत ही मुश्किल है। मैं यहां सात साल से काम कर रहा हूं, मैंने आज तक उसे नहीं देखा। इसीलिए मैं उसे देखना चाहता हूं, अब वो मेरा पंसदीदा जीव है।"
 
पिग्मी हिप्पो पानी में रहते हैं। वे सिर्फ खाने के लिए ही जमीन पर आते हैं। वन संरक्षकों को कुछ निशान मिले। जो इस बात की गवाही देते हैं कि यहां पिग्मी हिप्पोपोटैमस फल फूल रहे हैं। पार्क के जीवविज्ञानियों ने उनकी तस्वीर लेने के लिए कैमरा ट्रैप लगाए हैं, जिनसे इन जीवों की तस्वीरें ली गईं। इससे इन जीवों की आबादी की स्थिरता का पता चलेगा।
 
अनुमान है कि दुनिया भर में अब सिर्फ 2000 पिग्मी हिप्पो बचे हैं। आम दरियाई घोड़े की तुलना में काफी छोटी कद काठी वाली ये प्रजाति ऊपरी गिनी के वर्षावन में रहती है। गोला पार्क खतरे में पड़े जीवों और पौधों की 60 प्रजातियों का बसेरा है। मुस्तफा वाई और दो अन्य टीमें इलाके की निगरानी करती हैं। यहां शिकार, मछली मारना और हीरों के लिए खुदाई करने पर रोक है। पहले ऐसा होता रहता था।
 
सिएरा लियोना का सिर्फ पांच फीसदी मूल जंगल ही अब बचा है। गोला रेनफॉरेस्ट नेशनल पार्क एक नखलिस्तान है। यानी बंजर इलाके के बीच हरा भरा इलाका। बाकी जगहों पर ऐसी पर्यावरण सुरक्षा संभव नहीं। आज यहां शांति है। 2011 में खुला गोला रेनफॉरेस्ट पार्क इसका सबूत है। पार्क का कुछ हिस्सा लाइबेरिया में भी आता है। दो देशों के बीच यह शांति का संदेश देता है।
 
लेकिन पार्क की सुरक्षा तभी हो सकेगी, जब स्थानीय गांवों को शिकार या गैरकानूनी गतिविधियों के बिना खाना और आय का जरिया मिलेगा। पार्क कर्मचारी इस बात को जानते हैं। वे गांव के लोगों के लिए आय के नये रास्ता बना रहे हैं। ठंडे पड़ चुके कामकाज को फिर से खड़ा करने की कोशिश की जा रही है। वाई की साथी अमिनाता बेरेवा काकाओ के किसानों का एक नेटवर्क बनाने में लगी है, ताकि किसान अपने सामान की बेहतर मार्केटिंग कर सकें।
 
अमिनाता कहती हैं, "इन समुदायों के साथ काम करने में काफी चुनौतियां हैं क्योंकि वे बहुत ही दुर्गम इलाकों में रहते हैं। उन्हें गोला नेशनल पार्क का मकसद और उसका उद्देश्य समझाना हमारे लिए काफी मुश्किल होता है।"
 
मोहम्मद कोरोमा भी अपने पिता की तरह कोकोआ उगाते हैं। लेकिन बहुत ज्यादा मुनाफा नहीं होता। तो ऐसा कौन सा तरीका अपनाया जाए कि पैदावार ज्यादा हो? और कोकोआ की ऐसी कौन सी प्रजाति है जो निर्यात के लिए अच्छी है? ये बातें उन्हें अमिनाता से पता चलती हैं। कोकोओ की खेती से किसानों और जंगल, दोनों को फायदा है। कोकोआ प्रोजेक्ट से जुड़ीं अमिनाता कहती हैं, "कोकोआ अपने आप में जंगली पेड़ है, इससे कुछ पंछियों को भी खुराक मिलती है, लिहाजा ये संरक्षण के लिए काफी अच्छा है।"
 
कोकोआ के पेड़ बड़े पेड़ की छांव में काफी अच्छे से बढ़ते हैं। इसकी खेती के लिए पार्क के बाहरी हिस्से में जंगल को सुरक्षित रखा गया है। पेड़ों से जमीन भी बंजर नहीं होती और चिड़िया, कीट और बंदरों को बसेरा भी मिलता है।
 
एक हजार से ज्यादा किसान इस प्रोजेक्ट का हिस्सा है। बड़ी मात्रा में कोकोआ बेचना आसान होता है। बीजों को सावधानी से फरमेंट और सुखाना होता है, तभी विदेशों में इससे बढ़िया क्वॉलिटी की चॉकलेट बनेगी। मोहम्मद के कोकोआ से अमिनाता संतुष्ट होती हैं। उनके मुताबिक, "यह अच्छे से फरमेंटेंड है, इसीलिए इसका रंग चॉकलेटी है, इससे सात दिन से भी ज्यादा सुखाया गया है।"
 
वह मोहम्मद को 40 डॉलर से ज्यादा की रकम देती हैं, जिसे पाकर उनकी खुशी का ठिकाना नहीं होता। मोहम्मद कहते हैं, "कारोबार का मतलब है कि हम पैसे बचा सकेंगे जिससे कई मुश्किल सुलझेंगी। मैं अपने बच्चों के स्कूल की फीस दे सकूंगा और इससे मुझे खुशी होती है।"
 
अमिनाता और उनके साथी अब ऑर्गेनिक और फेयरट्रेड कोकोआ के लिए अंतरराष्ट्रीय खरीदार खोज रहे हैं। यह एक सफल कहानी है, लेकिन सियरा लियोन के कई इलाकों में वन्य जीवन खतरे में हैं। उम्मीद है कि गोला नेशनल पार्क की मिसाल और इलाकों को भी प्रेरित कर पाएगी।
 
-रुथ क्राउजे और बियोर्न कीत्समान

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