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क्या गालियों से भी हो सकता है इलाज?

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, सोमवार, 27 नवंबर 2017 (12:15 IST)
"तुम बकवास हो, तुम बकवास हो, तुम जगह की बर्बादी हो" सामने बैठी युवती से ऐसी बातें कहता कंप्यूटर का यह अवतार मुक्का तान कर बात नहीं करता लेकिन गाली बकने में इसका कोई जोड़ नहीं।
 
कंप्युटर के सामने बैठी युवती शिजोफ्रेनिया की शिकार है और डॉक्टर उस पर इलाज की एक नई तरकीब आजमा रहे हैं। युवती पहले थोड़ा सकुचाते हुए कहती है, "तुम दूर हटोगे क्या, प्लीज?" लेकिन थोड़ी ही देर बाद मजबूती के साथ तेज स्वर में कहती है, "मैं अब और तुम्हारी बात नहीं सुनने वाली।"

यह बातचीत इलाज की एक नयी तकनीक है जिसे लंदन और मैनचेस्टर के विशेषज्ञों ने शिजोफ्रेनिया से पीड़ित लोगों के लिए तैयार किया है। इसे तैयार करने वाली टीम के मुताबिक यह सफल होता दिख रहा है। फिलहाल इसे "अवतार थेरेपी" कहा जा रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक जिन 75 लोगों को तीन महीने तक यह थेरेपी दी गयी उनमें से सात लोगों को, "उनके अंदर से देती आवाज सुनाई देनी बंद हो गयी।"
 
रिपोर्ट के प्रमुख लेखक और लंदन के किंग्स कॉलेज के प्रोफेसर टॉम क्रेग ने बताया कि मरीजों के इस समूह में, "बहुत से लोगों ने उनकी आवाज में महसूस होने वाले दुख और दूसरों की आवाज से पैदा होने वाले डर में कमी महसूस की।" रिसर्चरों की टीम ने यह भी देखा कि तुलना के लिए जिन 75 लोगों को अवतार की बजाय काउंसलिंग थेरेपी दी गयी थी उनमें दो ने कहा कि उनका मतिभ्रम दूर हो गया है। सारे मरीज ट्रायल के दौरान दवाइयां भी ले रहे थे।
 
क्रेग ने बताया कि शिजोफ्रेनिया के करीब दो तिहाई मरीजों को अदृश्य "आवाजें" सुनाई देती हैं। काल्पनिक लोग उनसे बात करते हैं, उन्हें प्रताड़ित करते हैं और धमकियां देते हैं। यह एक "डरावनी और दुखदायी" स्थिति है। ज्यादातर लोगों को एक दमदार, सर्वशक्तिमान आवाज सुनाई देती है और वे उस आवाज के आगे खुद को कमतर और शक्तिहीन महसूस करते हैं। ज्यादातर मरीजों को दवा लेने के बाद राहत मिलती है लेकिन चार में से एक को आवाज सुनाई देती रहती है।
 
नया इलाज शिजोफ्रेनिया के मरीजों को इन गालियों का सामना करने और उन पर विजय पाना सिखाता है। परीक्षण में शामिल सभी 150 मरीज ने एक से लेकर 20 साल तक दवा लेने के बावजूद लगातार तकलीफदेह मतिभ्रम की स्थिति से गुजर रहे थे। औसतन इनमें से हर किसी को तीन या चार अलग अलग आवाजें सुनाई देती थीं।
 
पहले चरण में थेरेपिस्ट मरीज को एक डिजिटल कंप्यूटर सिम्युलेशन यानी अवतार बनाने में मदद करता है, यह उस आवाज जैसी बनाने की कोशिश होती है जो उन्हें सबसे ज्यादा सुनाई देती है, वो उसकी नकल उतारते है जैसा उसने कहा है, उसकी पिच, टोन सब की नकल कर एक संभावित चेहरा भी तैयार कर लिया जाता है। करीब 50 सत्रों के बाद मरीज अपने उत्पीड़क का सामना करते हैं जो उनके सामने स्क्रीन पर आता है। अलग कमरे में बैठा थेरेपिस्ट माइक्रोफोन के जरिए कंप्यूटर के स्पीकर पर बात करता है इसके साथ ही वह अवतार के रूप में गालियां भी देता है।
 
जैसे कि मरीज अगर कहती है, "तुम यहां से दूर जाओगे प्लीज?" तो फिर क्रेग का सलाह देती आवाज आती है, यह अच्छा है लॉरेन लेकिन मेरे लिए इसे और दमदार बनाओ, बैठो उसकी तरफ देखो और उसे जाने के लिए कहो, ठीक है?" जैसे जैसे थेरेपी आगे बढ़ती है लोग उग्र होते जाते हैं, अवतार हार मानने लगता है और आखिरकार उस शख्स की मजबूत शख्सियत को स्वीकार कर लेता है।
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया में 2 करोड़ से ज्यादा लोग शिजोफ्रेनिया से प्रभावित हैं। इनमें से बहुत से लोग काम करने या फिर स्वस्थ रिश्ता बनाने में अक्षम हो जाते हैं। क्रेग का कहना है, "अवतार थेरेपी से असल में इलाज बेहतर हुआ है।"
 
शिजोफ्रेनिया के इलाज में दवाइयां कुछ हद तक लाभकारी हैं लेकिन कई लोग ऐसे हैं जो सालों से दवाइयां ले रहे हैं लेकिन फिर भी बीमारी बनी हुई है। अवतार थेरेपी ने इन लोगों के इलाज की एक नई राह दिखाई है लेकिन किन मरीजों को इससे फायदा होगा यह पता करने के लिए अभी और परीक्षण करने होंगे।
 
- एनआर/ओएसजे (एएफपी)

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