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कैसे गिनी जाती है ब्रह्मांड की उम्र

हमें फॉलो करें कैसे गिनी जाती है ब्रह्मांड की उम्र
, शनिवार, 14 सितम्बर 2019 (11:19 IST)
दशकों से वैज्ञानिकों को यह पता है कि हमारा ब्रह्मांड फैल रहा है। लेकिन बीते कुछ ही सालों में इस बारे में पर्याप्त रिसर्च हुई है। इससे पता चला है कि असल में किस रफ्तार से फैलाव हो रहा है।
 
इसे वैज्ञानिक शब्दावली में "हब्बल कॉन्सटेंट" कहा जाता है। इस दर के आधार पर ही गिना जाता है कि ब्रह्मांड की शरुआत कब हुई होगी या उसकी उम्र क्या है। सन 1998 में शोधकर्ताओं के दो समूहों ने पाया कि फैलाव की यह दर दूरी बढ़ने के साथ साथ तेज हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि ब्रह्मांड एक रहस्यमयी "डार्क एनर्जी" से भरा हुआ है जिसके कारण 14 अरब सालों तक गति लगातार तेज होती गई।
 
इसी खोज के लिए इन शोधकर्ताओं को 2011 का नोबेल पुरस्कार दिया गया। नई गणना से अनुमान लगाया गया है कि हमारे ब्रह्मांड की उम्र कुछ अरब साल कम हो सकती है। साइंस जर्मन में छपी स्टडी के मुख्य लेखक और जर्मनी के माक्स प्लांक इंस्टीट्यूट के रिसर्चर इन्ह जे ने बताया, "हम इस बारे में कई अनिश्चितताओं से घिरे हैं कि असल में गैलेक्सी में तारे कैसे एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं।" वैज्ञानिक ब्रह्मांड की उम्र का अनुमान भी तारों की गतिविधि के आधार पर ही लगाते हैं।
 
हब्ब्ल कॉन्सटेंट की इकाई किलोमीटर प्रति सेकंड प्रति मेगापारसेक होती है, जो कि तीस लाख प्रकाश वर्ष हुआ। दो अलग अलग तरीकों से जब फैलाव की दर पता लगाने की कोशिशें हुईं तो एक से वह 67.4 और दूसरे से 73 निकली। माक्स प्लांक के रिसर्चरों ने एक तीसरे ही तरीके से गणना की है और अपने नतीजे साइंस जर्मन में प्रकाशित किए हैं। उनकी गणना के हिसाब से फैलाव की दर 82।4  किलोमीटर प्रति सेकंड प्रति मेगापारसेक रही, जो कि पहले के दोनों अनुमानों से कहीं तेज है। हालांकि रिसर्चरों ने माना है कि इस आंकड़े में 10 फीसदी गलती की गुंजाइश है।
 
अलग अलग आंकड़ों का कारण बिग बैंग सिद्धांत की समझ भी हो सकती है। इस सिद्धांत में माना जाता है कि ब्रह्मांड एक प्रलयकारी विस्फोट के साथ शुरु हुआ और तबसे लगातार फैलता जा रहा है। 2011 में नोबेल से नवाजे गए वैज्ञानिकों में से एक ऐडम रीस ने एएफपी को बताया कि नई जानकारी पहले से चली आ रही अनिश्चितताओं को सुलझाने के लिए पर्याप्त नहीं लगती। लेकिन "फिर भी यह अच्छा है कि लोग वैकल्पिक तरीके तलाश रहे हैं। और इसके लिए वे सम्मान के पात्र हैं।"
 
आरपी/एमजे (एपी, एएफपी)

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