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सपा के झगड़े में युवा मुख्यमंत्री के विकल्प

हमें फॉलो करें सपा के झगड़े में युवा मुख्यमंत्री के विकल्प
, मंगलवार, 3 जनवरी 2017 (11:07 IST)
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के निष्कासन के साथ उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी विभाजन की ओर बढ़ रही है। पिता मुलायम सिंह से झगड़ रहे मुख्यमंत्री के सामने क्या विकल्प हैं?
उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने शनिवार को उन सभी प्रत्याशियों को लखनऊ बुलाया है जिनकी सूची उन्होंने जारी की है, जबकि मुख्यमंत्री अपने सहयोगियों के साथ विकल्पों की जोड तोड़ कर रहे हैं। पिछले कई दिनों से चल रही उठापटक के बाद  अब दो विकल्प हैं। पार्टी नए नेता का चुनाव कर किसी और को नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाने के लिए राज्यपाल राम नाइक को पत्र भेज सकती है।  दूसरी तरफ इससे पहले कि कोई और सीएम पद की शपथ के लिए सामने आए, अखिलेश यादव बतौर मुख्यमंत्री विधानसभा भंग करने की सिफारिश कर सकते हैं।  ऐसी स्थिति में, राजनीतिक थिएटर में कमान बीजेपी द्वारा नियुक्त राज्यपाल के हाथों में चली जाएगी।
 
अखिलेश यादव के सामने अब नई पार्टी बनाने का खुला विकल्प है। पिछले कई हफ्तों से वह कांग्रेस के साथ गठबंधन की वकालत खुले आम करते आए हैं। उनका मत रहा है कि कांग्रेस के साथ वह 300 सीटें जीतेंगे। जबकि सपा हाईकमान ने इस गठबंधन का हमेशा विरोध किया। मुलायम सिंह ने हर प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस के साथ गठबंधन से इनकार किया। लेकिन सीएम अखिलेश ने हर बार कहा कि यूपी की जनता चाहती है कि वह ही सीएम पद पर दोबारा आएं। कई सर्वे भी उनके पक्ष में हैं और वह हर सर्वे में यूपी के सीएम के रूप में सभी की पहली पसंद हैं।
 
अब स्थिति कमोबेश साफ हो गई है। बिहार की तर्ज पर महागठबंधन के लिए पहल पहले ही हो चुकी है। कांग्रेस के रणनीतिकार प्रशांत किशोर की अखिलेश यादव से कई दौर की मुलाकात हो चुकी है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और अखिलेश के बीच भी बातचीत के कई दौर हो चुके हैं। लखनऊ के एक प्रतिष्ठित अखबार में छप चुका है कि अखिलेश और प्रियंका गांधी वाड्रा के बीच भी बातचीत हुई है। माना जा रहा है कि राहुल गांधी के साथ अखिलेश यादव अधिक सहज है। अखिलेश जल्द ही नई पार्टी बनाकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जाट बहुल पार्टी राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी और राहुल गांधी के साथ गठबंधन की घोषणा कर सकते हैं।
 
अखिलेश यादव को मुलायम सिंह ने पार्टी से निकाल कर 2012 के विधानसभा के चुनावों के नायक रहे युवा अखिलेश की राजनीतिक विचारधारा पर एक बार फिर प्रश्नचिन्ह लगा दिया। 2012 के चुनाव प्रचार से पहले बाहुबली डीपी यादव की सपा में एंट्री को सफलतापूर्वक रोकने का श्रेय लेने वाले अखिलेश ने 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले भी बाहुबली मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल और बाहुबली अतीक अहमद को टिकट देने का जबरदस्त विरोध किया था। लेकिन उनकी नहीं चलने दी गई। अतीक अहमद को सपा का टिकट भी दिया गया और कौमी एकता दल का सपा में विलय भी हुआ। अमर सिंह को भी अखिलेश की मर्जी के खिलाफ सपा में शामिल किया गया।
 
रिपोर्ट: एस. वहीद

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