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उरुग्वे से सीखिए किसानी

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, मंगलवार, 30 दिसंबर 2014 (11:47 IST)
उरुग्वे में करीब 33 लाख लोग और इसकी चार गुना गाएं रहती हैं। उरुग्वे को उम्मीद है कि वह पांच करोड़ लोगों का पोषण कर पाएगा। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए वह खेती की स्मार्ट तकनीकों और ड्रोनों की मदद ले रहा है।

 
उरुग्वे छोटा लेकिन एक कृषि डायनमो देश है, यहां जलवायु संयमित है। वह सैंडविच की तरह दक्षिण अमेरिकी दिग्गज देशों अर्जेंटीना और ब्राजील के बीच बसा है। प्रति व्यक्ति कृषि भूमि के मामले में वह दुनिया के बाकी देशों से कहीं आगे है। कहा जाता है कि यह एक ऐसा देश है जहां प्रति व्यक्ति चार गाएं हैं और हर एक गाय के कान पर इलेक्ट्रॉनिक चिप लगा है।

आजकल खेतों में कुछ ऐसा नजारा होता है- उरुग्वे की राजधानी मोंटेवीडियो से करीब दो घंटे की दूरी पर खेत में 'ऑटो पायलट' सतर्कता के साथ हर एक मिलीमीटर फसल की कटाई कर रहा है। मशीन के अंदर बैठा किसान उसे चलाने के बजाय फसल की कटाई का डाटा स्क्रीन पर देख रहा है ताकि अगले साल की फसल में सुधार हो पाए। इकट्ठा हुए डाटा के जरिए किसान प्रति वर्ग मीटर की पैदावार का विश्लेषण करेगा।

इसी क्षेत्र के एक किसान गाब्रिएल कारबालल कहते हैं, 'हमारे लिए कटाई की जानकारी उतनी ही अहम है जितनी फसल।' 1999 से 40 साल के कारबालल ने परिवार के खेत पर काम करना शुरू किया। शुरुआत में वह पारंपरिक विधियों का इस्तेमाल करते थे। कारबालल ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि बाद में जब रोपण तकनीक, मशीनों और फसल प्रबंधन की तकनीकों में क्रांति आई तो उसके कारण दशक भर में ही उनकी पैदावार दोगुनी हो गई।

इसका श्रेय अनुवांशिक तरीके से तैयार बीज, हाईटेक मशीनों और सीधी बोवाई को जाता है। सीधी बोवाई एक ऐसी तकनीक है जिसमें बीजों को पिछले साल के इस्तेमाल किए गए खेत में बोया जाता है और मिट्टी की रक्षा के लिए कम से कम जुताई की जाती है। उसी समय पारंपरिक रूप से पशुपालन करने वाले उरुग्वे ने कृषि भूमि को लगभग तीन गुना बढ़ाकर 15 लाख हेक्टेयर कर दिया।

तकनीक और उत्पादन बढ़ाकर 2005 में ही उरुग्वे 90 लाख लोगों के लिए पर्याप्त अनाज पैदा करता था, आज की तारीख में उसकी क्षमता बढ़कर 2.8 करोड़ लोगों तक पहुंच गई है। सरकार ने लक्ष्य को और बढ़ाकर 5 करोड़ कर दिया है जो कि देश की आबादी का 15 गुना है। उरुग्वे के सफल प्रदर्शन के पीछे देश, किसानों और पशुपालकों का दशकों का अध्ययन शामिल है।

कृषि मंत्री तबारे आगुएरे के मुताबिक, 'हम मिट्टी का इस्तेमाल अधिक गहनता से कर रहे हैं। हमारे पास 50 साल से भी अधिक का शोध है जो मिट्टी के कटाव और उसकी गुणवत्ता के बारे में बताता है। हम ऐसी सार्वजनिक नीतियां बना पाए हैं जो कटाव की भविष्यवाणी के लिए गणितीय मॉडल का इस्तेमाल करती है।'

इस मॉडल की मदद से सरकार मिट्टी के इस्तेमाल को नियमित करती है। किसान इन नियमों का पालन कर रहे हैं या नहीं इसको सुनिश्चित करने के लिए ड्रोन और सैटेलाइट का इस्तेमाल किया जाता है। कृषि मंत्री बताते हैं, 'इसका विकास सार्वजनिक नीति के तौर पर किया गया है लेकिन जमीनी स्तर पर इसे लागू करने के लिए 500 निजी कृषिविज्ञान इंजीनियर लगे हैं।'

- एए/आरआर (एएफपी)

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