दशकों पहले राकेश और रश्मि वर्मा भारत की गली-गली नापते घूम रहे थे। ये गूगल मैप आने से भी पहले की बात है। तब वर्मा दंपती भारत के तमाम बड़े शहरों के नक्शे तैयार करने के लिए पैदल हर कोने पर गए थे।
 
									
			
			 
 			
 
 			
					
			        							
								
																	
	 
	दशकों पहले की यह मेहनत मंगलवार को चोखा रंग लेकर आई। राकेश और रश्मि वर्मा की कंपनी मैपमाईइंडिया के आईपीओ के बाद शेयर बाजार में उनकी स्टार्टअप कंपनी ने धांसू शुरुआत की है। मंगलवार को कंपनी का शेयर 35 प्रतिशत बढ़कर 1393.65 रुपए पर बंद हुआ। इसके साथ ही वर्मा दंपती की संपत्ति 44 अरब रुपए को पार कर गई।
 
									
										
								
																	
	 
	मैपमाईइंडिया भारत के डिजिटल नक्शे और भौगोलिक डेटा बेचती है। सीई इन्फोसिस्टम के मूल नाम वाली कंपनी ने इसी महीने की शुरुआत में अपना आईपीओ लॉन्च किया था जिसे 150 गुना ज्यादा बुकिंग मिली थी। एप्पल और अमेजॉन जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भी इस कंपनी के सॉफ्टवेयर खरीदे हैं।
 
									
											
									
			        							
								
																	
	 
	आईपीओ के बाद कंपनी का 54 प्रतिशत मालिकाना हक राकेश और रश्मि वर्मा के पास है। अपने घर से शुरू किया उनका यह स्टार्अप इतना सफल रहेगा इसका यकीन राकेश वर्मा को भी नहीं था। लेकिन उन्हें अपने उस कदम पर यकीन था जो उन्होंने दशकों पहले उठाया था।
 
									
											
								
								
								
								
								
								
										
			        							
								
																	
	 
	ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में राकेश वर्मा ने कहा, ”जब हमने शुरुआत की थी तब तो मैपिंग डाटा को कोई समझता ही नहीं था। अब 25 साल बाद इसके बिना कोई बिजनेस, उद्योग, सरकारी कंपनियां या मंत्रालय तक चलते नहीं हैं।”
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	सपने की ओर कदम
	राकेश वर्मा 71 साल के हो गए हैं। उनकी पत्नी रश्मि अब 65 की हैं। दोनों ने 1990 के मध्य में अपना बिजनेस शुरू किया था। जब भारत में आम जनता को इंटरनेट उपलब्ध नहीं था। और नई स्टार्टअप कंपनियों के लिए ना सरकारी सुविधाएं थीं, ना बेंगलुरू या गुरुग्राम जैसे तकनीकी केंद्र।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	लेकिन वर्मा दंपती के पास एक सोच थी। वह भविष्य को देख पा रहे थे। इसलिए वह संघर्ष से भागे नहीं। साथ ही उनके पास दशकों तक विदेशों के बेहतरीन संस्थानों में कमाया ज्ञान भी था। 1970 के दशक में भारत से इंजीनियरिंग करने के बाद दोनों अमेरिका चले गए थे।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	अमेरिका में दोनों ने पहले डिग्रियां हासिल कीं और फिर बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम किया। राकेश वर्मा जनरल मोटर्स में बड़े अधिकारी रहे जबकि रश्मि ने आईबीएम में कंप्यूटर डेटाबेस बनाए। और फिर भारत लौटकर उन्होंने अपने सपने को मूर्त रूप देना शुरू किया।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	छोटी शुरुआत
	वे बताते हैं कि मैपमाईइंडिया के शुरुआती साल तो किसी बुरे सपने जैसे थे। तकनीक बहुत कमजोर थी और हाथ का काम बहुत ज्यादा था। फिर धीरे-धीरे तकनीकी विकास हुआ तो उनका काम भी बढ़ा। सालभर के भीतर ही उन्हें कोकाकोला ने अपने डिस्ट्रीब्यूटर्स को मैप करने का काम दिया। फिर मोटोरोला, इरिकसन, एबी और क्वॉलकम जैसे नाम जुड़ते गए। 2004 में राकेश और रश्मि वर्मा ने भारत का पहला इंटरेक्टिव मैप प्लैटफॉर्म शुरू किया था।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	इस साल भारत सरकार ने नियम बदल दिए तो विदेशी कंपनियों के लिए यह अनिवार्य हो गया कि वे भारतीय कंपनियों से ही डेटा खरीद सकती हैं। इस फैसले ने मैपमाईइंडिया की किस्मत बदल दी। वर्मा कहते हैं कि जीपीएस नेवीगेशन के 95 प्रतिशत भारतीय बाजार पर उनका कब्जा है।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	अब शेयर बाजार से पैसा उगाहने के बाद मैपमाईइंडिया अंतरराष्ट्रीय होने की ओर बढ़ना चाहती है। वे दो सौ से ज्यादा देशों के नक्शे अपने प्लैटफॉर्म पर लाना चाहते हैं।