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यूक्रेन पर हमला हुआ तो नाटो क्या करेगा

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, गुरुवार, 17 फ़रवरी 2022 (08:20 IST)
यूक्रेन की सीमा से रूसी सैनिकों की वापसी पर संदेह के साथ ब्रशेल्स में नाटो के रक्षा मंत्रियों की बैठक शुरू हुई है। हमले की सूरत में नाटो सीधे दखल देगा, यह कहना मुश्किल है लेकिन सुरक्षा के कुछ उपायों पर चर्चा हो रही है।
 
नाटो के सदस्य देशों ने बुधवार को संगठन के पूर्वी हिस्से में मौजूद देशों की सुरक्षा को मजबूत करने के नए तरीकों पर चर्चा शुरू की है। यूक्रेन के इर्द गिर्द रूसी सेना के जमावड़ेने बीते कई दशकों में यूरोप के लिए सुरक्षा की सबसे बड़ी चिंता पैदा की है।
 
नाटो के रक्षा मंत्रियों की बैठक
दो दिनों तक ब्रशेल्स के नाटो मुख्यालय में सदस्य देशों के रक्षा मंत्री इस बात पर चर्चा करेंगे कि अगर रूस यूक्रेन पर हमले का आदेश देता है तो कैसे और कब नाटो अपने सैनिक और साजोसामान रूस के नजदीक जल्दी से पहुंचाएगा। अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन और उनके समकक्ष दक्षिणी पश्चिमी यूरोप में लंबे समय तक सेना की तैनाती की योजना का भी जायजा लेंगे। इस योजना पर अमल इसी साल किसी वक्त शुरू हो सकता है।
 
इस्टोनिया, लात्विया, लिथुआनिया और पोलैंड में जिस तरह से सैनिकों की तैनाती की गई है, उसी तरह से इन सैनिकों की तैनाती भी रोटेशन के आधार पर होगी। इसमें करीब 5000 सैनिक होंगे। अमेरिका ने पोलैंड और रोमानिया में 5000 सैनिकों की तैनाती शुरू की है। ब्रिटेन सैकड़ों सैनिक पोलैंड भेज रहा है और उसने ज्यादा जंगी जहाजों और विमानों की पेशकश की है। जर्मनी, नीदरलैंड्स और नॉर्वे भी लिथुआनिया में अतिरिक्त सैनिक भेज रहे हैं। डेनमार्क और स्पेन एयर पुलिसिंग के लिए जेट विमान दे रहे हैं।
 
सैनिकों की तैनाती का मतलब
नाटो के महासचिव येंस स्टोल्टेनबर्ग का कहना है, "नाटो की ओर से जमीन पर ज्यादा सैनिक, ज्यादा नौसैनिक उपकरण और ज्यादा हवाई जहाजों की तैनाती की सच्चाई, एक साफ संदेश दे रहे हैं। मेरा ख्याल है कि सहयोगियों की रक्षा के लिए हमारी प्रतिबद्धता को समझने में मॉस्को के लिए किसी भूल की गुंजाइश नहीं है।"
 
यह तैनाती नई चुनौतियों के जवाब में की गई है। पिछले चार महीने में रूस ने अपनी सेना की करीब 60 फीसदी ताकत और वायु सेना का एक बड़ा हिस्सा यूक्रेन के उत्तर और पूर्व और साथ ही पड़ोसी बेलारूस में तैनात कर रखा है। इन सबको देखते हुए ऐसी आशंका बन रही है कि वह 2014 में यूक्रेन पर किए हमले को बड़े रूप में दोहराने की तैयारी कर रहा है।
 
क्या नाटो यूक्रेन के लिए रूस से भिड़ेगा
रूसी राष्ट्रपति चाहते है कि दुनिया के सबसे बड़े सुरक्षा संगठन नाटो का विस्तार रुक जाए। उन्होंने मांग रखी है कि अमेरिका के नेतृत्व वाला यह गठबंधन अपने सैनिक और सैन्य उपकरण उन देशों से हटा ले जो 1997 के बाद इसके सदस्य बने हैं। इसके दायरे में नाटो के करीब आधे सदस्य आ जाएंगे।
 
नाटो इस शर्त को नहीं मान सकता। इसके गठन के समय जो समझौता हुआ था उसमें उन सभी यूरोपीय देशों के लिए एक "खुले दरवाजे" की नीति अपनाई गई है जो इसमें शामिल होना चाहते हैं। इसके साथ ही इसमें आपसी सुरक्षा का एक प्रावधान है जिसके तहत इस बात की गारंटी दी गई है कि अगर एक सदस्य पर हमला होता है तो सभी सदस्य मिल कर उसकी रक्षा करेंगे।
 
यूक्रेन हालांकि इसका सदस्य नहीं है और नाटो एक संगठन के रूप में उसकी मदद के लिए नहीं आना चाहता। बुधवार को बैठक से पहले स्टोल्टेनबर्ग ने पत्रकारों से कहा, "हमें यह समझना होगा कि यूक्रेन एक सहयोगी है। हम यूक्रेन का समर्थन करते हैं। हालांकि नाटो में शामिल सभी देशों के लिए हम शत प्रतिशत सुरक्षा की गारंटी देते हैं।"
 
इस मामले में कुछ सदस्य देश यूक्रेन की सीधे मदद कर रहे हैं जैसे कि अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा। कनाडा की रक्षा मंत्री अनिता आनंद का कहना है, "हम यूक्रेन को घातक और गैर घातक दोनों तरह की मदद दे रहे हैं। यह हम सब के लिए बहुत अहम है।"
 
प्रतिबंधों का ही सहारा
हालांकि रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन अगर यूक्रेन पर हमले का आदेश देते हैं तो उनके देश के लिए "बड़ी कीमत" आर्थिक और राजनीतिक होगी खासतौर से प्रतिबंधों के रूप में। यह हिस्सा नाटो के दायरे में नहीं है। नाटो ने रूस को सुरक्षा मुद्दों पर बातचीत का प्रस्ताव दिया है। इनमें हथियारों पर नियंत्रण भी शामिल है।
 
पिछले दो दिनों में रूस ने कहा है कि वह अपने सैनिकों और हथियारों को उनके स्थाई अड्डों पर वापस ले जा रहा है। हालांकि स्टोल्टेनबर्ग का कहना है कि गठबंधन ने वापसी के पुख्ता संकेत नहीं देखे हैं और उन्हें चिंता है कि यूक्रेन पर रूसी हमला अब भी हो सकता है।
 
स्टोल्टेनबर्ग ने कहा, "वो हमेशा फौज को आगे पीछे करते हैं, तो सिर्फ फौज की मूवमेंट देखने भर से सचमुच उनकी वापसी की पुष्टि नहीं हो जाती। पिछले हफ्तों और महीनों में यूक्रेन की सीमा पर रूस की ताकत में भारी इजाफा हुआ है।"
 
रूस से नाटो के किसी सदस्य देश को सीधे खतरा नहीं है, लेकिन यह गठबंधन यूक्रेन में होने वाले किसे संघर्ष के नतीजों से चिंतित है। मसलन युद्ध की आशंका में लोगों का यूरोपीय सीमा की तरफ चले जाना या साइबर हमले या फिर गलत जानकारियों और अफवाहों का फैलना।
 
एनआर/एके(एपी)

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