यह 'सैंपल 73001' दिसंबर 1972 में चांद की टॉरस-लिट्रो घाटी से लिया गया था। चांद पर केवल दो ही नमूने वैक्यूम सील किए गए थे। 73001 उन्हीं में से एक है। नासा ने एक खास मकसद से इसे खोलने के लिए 50 साल इंतजार किया।
अमेरिका के 'अपोलो प्रोग्राम' का मकसद था, इंसान को चांद पर लैंड कराना और उन्हें सुरक्षित वापस धरती पर लाना। इस प्रोग्राम के तहत 6 मिशन- अपोलो 11, 12, 14, 15, 16 और 17 ने अपना लक्ष्य पूरा किया। इन अभियानों का सबसे चमकीला अध्याय था 20 जुलाई, 1969। इसी रोज अपोलो 11 मिशन में गए अंतरिक्षयात्रियों नील आर्मस्ट्ऱॉन्ग और बज आल्ड्रिन चांद पर कदम रखने वाले पहले मानव बने। ये दोनों अपने साथ चांद के सैंपल भी धरती लाए। ये पहली बार था, जब किसी और ग्रह की चीजें पृथ्वी पर लाई गई हों।
रिसर्च के लिए 5 दशकों तक क्यों किया इंतजार?
अपोलो के इन 6 अभियानों में ढेर सारा वैज्ञानिक डाटा और लगभग 400 किलो चांद का सैंपल धरती आया। इनमें चांद से लाए गए कुल 2,196 पत्थरों के सैंपल भी शामिल हैं। मगर आधी सदी बाद भी सभी सैंपलों के शोध का काम पूरा नहीं हुआ है। नासा ने आखिरी बचे कुछ सैंपलों पर अब जाकर काम शुरू किया है। यह देरी जान-बूझकर की गई। नासा ने इन्हें सील करके रखा हुआ था ताकि आगे चलकर इनपर शोध किया जाए।
लोरी ग्लेज, नासा मुख्यालय में प्लैनेटरी साइंस विभाग की निदेशक हैं। इस बारे में बयान जारी कर उन्होंने बताया कि नासा को पता था कि भविष्य में विज्ञान और तकनीक में तरक्की होगी। इससे वैज्ञानिकों को नए और बेहतर तरीके से उन सैंपलों पर शोध करने में मदद मिलेगी। वे भविष्य में आने वाली चुनौतियों और चिंताओं के मद्देनजर नए पहलुओं पर गौर कर पाएंगे।
क्या है सैंपल 73001?
शोध के लिए अभी जिस सैंपल को खोला गया है, उसका नाम है- 73001। यह सैंपल 73001 एक 35 सेंटीमीटर लंबा और चार सेंटीमीटर चौड़ा ट्यूब है। इस ट्यूब को चांद की टॉरस-लिट्रो घाटी से पत्थर जमा करने के लिए जमीन में डाला गया था। चांद पर केवल दो ही सैंपल वैक्यूम सील किए गए थे। 73001 उन्हीं में से एक है। अपोलो 17 मिशन पर चांद गए अंतरिक्षयात्री यूजिन सरनेन और हैरिसन स्मित दिसंबर 1972 में इसे धरती पर लाए थे। यह चांद पर गया नासा का अब तक का आखिरी मानव अभियान था।
इस ट्यूब 73001 में गैस या फिर पानी, कार्बन डाई ऑक्साइड जैसी चीजें हो सकती हैं। अनुमान है कि ट्यूब के भीतर इनकी बहुत कम मात्रा ही मौजूद होगी। नासा इन्हें सुरक्षित हासिल करना चाहता है, ताकि हालिया सालों में बेहद उन्नत हो चुकी स्पेक्टरोमेट्री तकनीकों की मदद से इनका विश्लेषण किया जा सके। इससे पहले फरवरी 2022 में इस ट्यूब के बाहर सुरक्षा आवरण के रूप में लगी एक अतिरिक्त ट्यूब की परत को हटाया गया था। उसमें चंद्रमा की गैस नहीं थी।
इससे वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया कि भीतरी ट्यूब में जो चीजें सीलबंद हैं, वे सुरक्षित हैं। लीक नहीं हुई हैं। फिर 23 फरवरी को वैज्ञानिकों ने ट्यूब के मुख्य हिस्से में छेद करके उसके भीतर बंद गैस को हासिल करने की प्रक्रिया शुरू की। इस लंबी प्रक्रिया को पूरा होने में हफ्तों लग सकते हैं। इसके बाद अंदर जमा पत्थर को बहुत सावधानी से निकाला जाएगा। उसे तोड़ा जाएगा। फिर अलग-अलग वैज्ञानिकों का दल उसका विश्लेषण करेगा।
सुलझेगी चांद पर लैंडस्लाइड की पहेली!
चांद की जिस जगह से इस सैंपल 73001 को उठाया गया है, वह भी दिलचस्प है। वहां कभी भूस्खलन हुआ था। इसकी अहमियत बताते हुए अपोलो की डेप्युटी क्यूरेटर जूलियन ग्रॉस कहती हैं कि चांद पर बारिश नहीं होती। इसलिए हमें यह समझ में नहीं आ रहा है कि वहां भूस्खलन क्यों होते हैं।
ग्रॉस ने बताया कि शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि सैंपल का विश्लेषण करके शायद उन्हें इसका जवाब मिल जाए। 73001 के बाद चांद से लाए गए केवल तीन सैंपल बचेंगे, जो अभी भी सील हैं। उन्हें कब खोला जाएगा, यह पूछे जाने पर सीनियर क्यूरेटर रेयान सिगलर ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि हम और 50 साल इंतजार करेंगे। जब हमें आर्टमिस के सैंपल मिल जाएंगे, तो बेहतर होगा कि हम आर्टमिस में लाए गए सैंपलों की इन बचे हुए सील सैंपलों के साथ तुलना करके देखें।
मंगल पर इंसान भेजने में मिल सकती है मदद
आर्टमिस चांद पर जाने वाला नासा का अगला मिशन है। एजेंसी 2025 में इंसानों को फिर से चांद पर भेजने की तैयारी कर रही है। आर्टमिस मिशन में नासा पहली बार महिला और अश्वेत अंतरिक्षयात्रियों को चांद पर भेजेगा। इस बार चांद पर अपेक्षाकृत लंबे समय तक रुकने की भी कोशिश की जाएगी। इस अभियान के दौरान चांद से बड़ी मात्रा में गैस के नमूने जमा किए जाएंगे। इन अभियानों में चांद और उसके आसपास के वातावरण से जुड़ी जो जानकारियां मिलेंगी, उन्हें मंगल पर इंसान भेजने की महत्वाकांक्षी योजना को पूरा करने में इस्तेमाल किया जाएगा।