Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

क्या शहर बदल लेने से प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी

हमें फॉलो करें क्या शहर बदल लेने से प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी
, बुधवार, 6 नवंबर 2019 (12:28 IST)
उत्तर भारत में प्रदूषण का स्तर इस कदर जहरीले स्तर को छू रहा है कि यहां से लोग दूसरे शहरों में शिफ्ट होने के बारे में गंभीरता से सोच रहे हैं। यहीं नहीं कंपनियां भी अपने कर्मचारियों को घर से काम करने का विकल्प दे रही हैं।
 
दिल्ली की रहने वाली मयूरी आनंद पिछले कुछ दिनों से प्रदूषण के जानलेवा स्तर को लेकर बेहद चिंतित है। निजी कंपनी में काम करने वाली मयूरी आनंद अपने पति,छोटी बेटी और मां-बाप के साथ दिल्ली में रहती है। मयूरी को अपनी छोटी बेटी और बुजुर्ग मां-बाप की सेहत की चिंता सता रही है। मयूरी कहती हैं, ''मेरे मां-बाप को इन दिनों काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उनकी आंखों में जलन रहती है, सांस लेने में दिक्कत हो रही है। वहीं स्कूल बंद होने के कारण मेरी बेटी घर में ही एक तरह से कैद हो गई है। वह ना तो खेलने के लिए पार्क में जा सकती है और ना ही कहीं और जा सकती है।"
 
प्रदूषण के मारे दिल्ली वाले
सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी में लीड कंसल्टेंट के पद पर काम करने वाले 31 साल के मृगांक पाण्डेय पिछले कुछ सालों से नोएडा में ही रहकर काम कर रहे हैं,  लेकिन इस बार जिस तरह का प्रदूषण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में घिरा हुआ उससे वो भी पीड़ित हैं। मृगांक कहते हैं, "परिवार के साथ दिवाली मनाने के लिए मैं लखनऊ गया था। जब मैं 1 नवंबर को दिल्ली लौटा तो मुझे ऐसा लगा कि मैं किसी गैस चैंबर में आ गया हूं। पिछले पांच दिनों से मैं खुद सांस लेने की दिक्कत से जूझ रहा हूं। इतने सालों से मैं दिल्ली में हूं लेकिन इस तरह के डरावने हालात कभी नहीं देखे।"
 
कुछ लोगों ने उत्तर भारत के प्रदूषण को लेकर ट्विटर पर लिखा कि उन्हें छोटे शहरों से लौटने का मन नहीं हो रहा है क्योंकि दिल्ली की एयर क्वालिटी के मुकाबले उन शहरों का हाल थोड़ा बेहतर है।
 
कर्मचारियों के प्रति कंपनियों की बढ़ी जिम्मेदारी
 
कुछ कंपनियां पर्यावरण को बेहतर बनाने और प्रदूषण को कम करने के लिए पेड़ लगाने का एलान कर रही हैं। एक निजी कंपनी ने अपनी पांचवीं वर्षगांठ के मौके पर पार्टी के बजाय पेड़ लगाने और स्वच्छता अभियान चलाने का ऐलान किया है।
 
दिल्ली, गुड़गांव और नोएडा में हजारों कंपनियां हैं और उसमें लाखों कर्मचारी काम करते हैं। ऐसे में कुछ कंपनियों ने तो अपने कर्मचारियों को घर से ही काम करना का विकल्प भी दिया है, साथ ही कंपनियां प्रदूषण से निपटने के उपाय भी बता रही हैं ताकि कर्मचारियों की सेहत के साथ-साथ कंपनी का काम भी ना रुके।

दिल्ली स्थित थिंक टैंक काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरमेंट एंड वॉटर की प्रोग्राम एसोसिएट तनुश्री गांगुली कहती हैं, "हमारी संस्था ने सभी कर्मचारियों को 5 नवंबर तक यह विकल्प दिया कि वे घर से काम कर सकते हैं। जो लोग दफ्तर आ रहे हैं उनके लिए खास दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। उदाहरण के तौर पर दफ्तर आने के लिए सार्वजनिक वाहनों का इस्तेमाल , ज्यादा देर तक खुले वातावरण में नहीं रहने, घर से निकलते समय एन-95 मास्क मुंह पर लगाने जैसे कुछ उपाय करने को उन्हें कहा गया है। दिल्ली की हवा की गुणवत्ता के आधार पर ही हमारी संस्था आगे की रणनीति तय करेगी।"
 
वहीं मृगांक कहते हैं, "हमें भी घर से काम करने का विकल्प है लेकिन घर पर भी तो प्रदूषण घुस रहा है। ऐसे में घर से काम करने पर प्रदूषण से मुक्ति कहां मिलने वाली है।"
 
webdunia
मयूरी आनंद अपनी छोटी बेटी को लेकर ज्यादा चिंतित है, वे कहती हैं, "अब मुझे लगता है कि जब हालात ऐसे हो तो हमें दिल्ली छोड़ कर एक दो महीने के लिए दूसरे शहर चले जाना चाहिए। लेकिन नौकरी की मजबूरी से ऐसा करना मुश्किल लगता है। लेकिन हमें इस बारे में गंभीरता से विचार करना पड़ेगा। क्योंकि यह संकट अगले साल फिर होने वाला है।"
 
प्रदूषण की मार पर्यटन पर भी
उत्तर भारत में सर्दी के मौसम में देश-विदेश से पर्यटक भी आते हैं लेकिन प्रदूषण की वजह से ट्रैवल कंपनियां का कहना है कि या तो पर्यटक दिल्ली आने का प्लान रद्द कर रहे हैं या फिर उसे अगले कुछ दिनों के लिए टाल रहे हैं। ट्रैवल कंपनियों के मुताबिक इससे उनके कारोबार पर भी असर पड़ रहा है।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पुलिस-वकील विवाद : 1988 की वो घटना जिससे दिल्ली के पुलिस वालों को याद आईं किरण बेदी