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हुडी में लगी यहूदियों की टोपी है नया फैशन

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, मंगलवार, 10 जुलाई 2018 (13:01 IST)
युवाओं में हुडी पहनना कूल फैशन माना जाता है। जर्मनी के कुछ डिजाइनरों ने इस पहनावे में अपनी क्रिएटिविटी दिखाई और हुड के ऊपरी हिस्से में यहूदियों की टोपी लगा दी। एकता का संदेश देती इस टोपी को पॉलिटिकल फैशन कहा जा रहा है।
 
 
हुडी को युवा आराम के लिए पहनते हैं लेकिन बर्लिन की सड़कों पर इस पहनावे के साथ एकजुटता का संदेश दिया जा रहा है। लाल, हरा, काला या पीला, हर रंग के हुडी पर यहूदियों की पारंपरिक टोपी का दिखाई देना आम बात हो गई है।
 
 
बर्लिन में कोनिग गैलरी के प्रवक्ता क्रिस्टोफ पांटके के मुताबिक, हुडी को बनाने वाले डिजाइनर योहान कोएनष और फ्रैंकफर्ट आर्ट कलेक्टिव ने धर्म के इस प्रतीक को दोबारा जिंदा करने का सोचा है। इसका मुख्य मकसद यह बताना है कि "बर्लिन भी यहूदियों की टोपी पहनता है"। अप्रैल में हजारों की संख्या में लोग यहूदी टोपी पहनकर बर्लिन की सड़कों पर उतरे और हाल ही में यहूदियों पर हुए हमले के पीड़ितों को अपना समर्थन दिया। वे बताना चाहते थे कि बर्लिन में यहूदी सुरक्षित हैं और वे उनके साथ हैं। पांटके के मुताबिक, जर्मनी में असहनशील और यहूदी विरोधी गुट को जवाब देने के लिए उनके डिजाइनर्स ऐसी हुडी को बना रहे है। 
 
 
बर्लिन के यहूदी म्यूजियम के सामने युवाओं ने टोपी लगी हुडी पहने तस्वीरें खिंचवाई हैं। म्यूजियम ने पहले इस फैशन को प्रमोट करने से मना कर दिया, लेकिन बाद में तस्वीर में बैकड्रॉप देने के लिए राजी हो गया। यहूदी म्यूजियम के हेड गेओर्ग एच लेर्श का कहना है, ''इस अभियान को समर्थन देना महत्वपूर्ण कदम था। हालांकि यह कहना सही नहीं होगा कि सिर्फ हुडी के पहनने से यहूदियों के खिलाफ बढ़ रही असहनशीलता कम हो जाएगी। लोगों में जागरूता लाना जरूरी है। यह अच्छी बात है कि हूडी बनाने के लिए यहूदियों के बजाए दूसरे समुदाय के डिजाइनर्स सामने आए।''
 
 
पांटके दावा करते हैं कि हुडी बनाने वाले डिजाइनर्स का मकसद मुनाफा कमाना नहीं है। वे सिर्फ लोगों में एक संवेदनशील विषय के बारे में जागरूकता लाना चाहते हैं। इन हुडी को पहनने वालों की मिलीजुली प्रतिक्रिया है। किसी का मानना है कि टोपियों को अगर हुड में सिल दिया जाए तो उसमें फैशन अधिक होता है और धार्मिक अभिव्यक्ति कम होती है। वहीं, अगर किसी के सिर से हुड को नीचे कर दिया जाए तो प्रतिक्रिया धार्मिक हो सकती है। लर्श मानते हैं, ''डिजाइनर्स का आइडिया तो अच्छा है, लेकिन इसकी आलोचना होना स्वाभाविक है। लोगों में धार्मिक सहनशीलता और स्वतंत्रता को बरकरार रखना एक चुनौती है। एक बात साफ है कि अगर किसी यहूदी को सार्वजनिक स्थान पर अपनी टोपी पहननी है तो वह उसे करना चाहेगा और इसका समाधान हुडी में लगी टोपी से नहीं होगा।''
 
 
बर्लिन स्थित कोएनिष सोवेनियर में इन हुडी को 6 जुलाई से बेचा जा रहा है। यह संस्था लोगों में को सामाजिक और राजनीतिक जागरूकता पैदा करने के लिए जानी जाती है। यह मौका खास इसलिए भी है क्योंकि बर्लिन फैशन वीक अपने शबाब पर है और दुनियाभर के डिजाइनर शहर में मौजूद हैं। इन हुडी की कीमत 89 यूरो है और इन्हें ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है।
 
 
क्रिस्टीना बुराक/वीसी
 
 

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