जर्मन कंपनियों के कर्मचारियों के लिए मुश्किल होगा 2025
जर्मनी के प्रमुख बैंक कॉमर्त्सबैंक ने 2028 तक लगभग 3,900 नौकरियों को खत्म करने की योजना बनाई है, जो इसके कुल कर्मचारियों का लगभग 10 फीसदी है।
जर्मनी के एक प्रमुख बैंक ने करीब 3,900 नौकरियां खत्म करने का एलान किया है। यह उसी सिलसिले का हिस्सा है जिसके तहत जर्मन कंपनियां बड़े पैमाने पर छंटनी कर रही हैं। जर्मनी के प्रमुख बैंक कॉमर्त्सबैंक ने 2028 तक लगभग 3,900 नौकरियों को खत्म करने की योजना बनाई है, जो इसके कुल कर्मचारियों का लगभग 10 फीसदी है। यह कदम बैंक की दक्षता बढ़ाने और इटली के यूनिक्रेडिट बैंक के संभावित अधिग्रहण प्रयासों से बचाव के लिए उठाया गया है।
बैंक अपने शेयरधारकों का विश्वास बढ़ाने के लिए वित्तीय लक्ष्यों को मजबूत कर रहा है। बैंक की मुख्य कार्यकारी अधिकारी बेटिना ओरलॉप ने कहा, 'हम अपने विकास को तेज कर रहे हैं और बदलाव को निरंतर आगे बढ़ा रहे हैं। इससे बैंक और अधिक मजबूत और बेहतर बनेगा।'
2024 में रिकॉर्ड मुनाफे के बावजूद, यह छंटनी डिजिटलाइजेशन और विदेशी संचालन की बढ़ती भूमिका के कारण की जा रही है। नौकरियों में कटौती मुख्य रूप से जर्मनी में होगी, लेकिन साथ ही, पोलैंड जैसे देशों में नए रोजगार भी पैदा किए जाएंगे। इस पुनर्गठन पर 2025 में 70 करोड़ यूरो का खर्च आएगा।
अधिग्रहण और राजनीतिक विवाद
यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब इटली के बैंक यूनिक्रेडिट की ओर से संभावित अधिग्रहण की अटकलें तेज हो रही हैं। एंड्रिया ऑर्सेल के नेतृत्व वाले यूनिक्रेडिट ने कॉमर्त्सबैंक में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर लगभग 28 फीसदी कर ली है। इससे यूरोपीय बैंकिंग क्षेत्र में एक बड़े विलय की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
हालांकि, इस प्रस्ताव का कॉमर्त्सबैंक के प्रबंधन और जर्मनी के नेताओं, विशेष रूप से चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कड़ा विरोध किया है। वह किसी विदेशी बैंक को जर्मनी के प्रमुख वित्तीय संस्थानों में से एक पर नियंत्रण नहीं देना चाहते।
फिर भी, कुछ यूरोपीय संघ के नीति-निर्माता इस विलय के समर्थन में हैं। वे मानते हैं कि यह वैश्विक प्रतिस्पर्धा में यूरोपीय बैंकों को मजबूती देगा। ऑर्सेल ने कहा है कि यूनिक्रेडिट जल्दबाजी में निर्णय नहीं लेगा और जर्मनी के आगामी 23 फरवरी के चुनावों के बाद ही अगले कदम पर विचार करेगा।
श्रम विवाद और आर्थिक चुनौतियां
कॉमर्त्सबैंक की नौकरियों में कटौती जर्मनी में कर्मचारियों के बीच बड़े पैमाने पर फैल रहे असंतोष का हिस्सा है। प्रमुख औद्योगिक कंपनियां, जैसे बॉश, थिसेनक्रुप और जेडएफ फ्रीडरिषहाफेन, तेजी से खर्च कम करने के उपाय कर रही हैं, जिसका कारण बढ़ती प्रतिस्पर्धा और आर्थिक मंदी है। जर्मन कार कंपनी फोल्क्सवागन पिछले साल से ही मुश्किल में है।
श्रम प्रतिनिधियों का कहना है कि जर्मनी में लंबे समय से चली आ रही सामूहिक निर्णय की परंपरा जिसमें कर्मचारियों को कंपनी के निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका दी जाती है, अब खतरे में है। देश की अर्थव्यवस्था लगातार दूसरे वर्ष सिकुड़ रही है और दिवालिया कंपनियों की संख्या बढ़ रही है जिससे कंपनियां मजबूर होकर पुनर्गठन कर रही हैं।
थिसेनक्रुप के स्टील यूनिट के डिप्टी चेयरपर्सन और नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया में आईजी मेटल यूनियन के प्रमुख नट गीसलर ने कहा, 'हमें संघर्षों से भरे एक वर्ष के लिए तैयार रहना होगा।'
बॉश में 3,800 नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। वहां कंपनी प्रबंधन और कर्मचारियों के बीच बातचीत पूरी तरह से विफल हो गई हैं। यूनियन प्रतिनिधियों ने प्रबंधन पर बातचीत से इनकार करने का आरोप लगाया है। इसी तरह, ऑटो पार्ट्स सप्लायर जेडएफ फ्रीडरिषशाफेन अपने एक-तिहाई जर्मन प्लांट बंद करने पर विचार कर रहा है जिससे स्थानीय स्तर पर एक-चौथाई से अधिक नौकरियां खत्म हो सकती हैं।
जर्मनी की आर्थिक स्थिति
जर्मनी की आर्थिक चुनौतियों ने कंपनियों और मजदूर संगठनों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। देश की जीडीपी वृद्धि 2025 में लगभग 0. 2% रहने की संभावना है जिससे कंपनियों पर लागत कम करने का दबाव बढ़ रहा है। ऑटोमोबाइल सेक्टर को जर्मनी की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। यह सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। 2016 के बाद से इस क्षेत्र में उत्पादन 28 फीसदी तक गिर चुका है, जबकि नौकरियों में केवल 4 फीसदी की कमी आई है।
लुफ्थांसा, डॉयचे बान और फॉक्सवागेन जैसी कंपनियों में पिछले साल बड़े पैमाने पर हड़तालें हुईं जिससे उन्हें लगभग 80 करोड़ यूरो का नुकसान हुआ। 2025 में भी ऐसे श्रम विवाद जारी रहने की संभावना है। जर्मनी के आगामी चुनावों के बाद नई सरकार को कंपनियों और कर्मचारियों के बीच बढ़ते तनाव का समाधान निकालना होगा।
-वीके/एनआर (रॉयटर्स, एएफपी)