Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

जुड़वां हैं धरती और शुक्र

हमें फॉलो करें जुड़वां हैं धरती और शुक्र
, शुक्रवार, 31 मई 2013 (12:10 IST)
FILE
आकार में एक जैसे और अक्सर जुड़वां कहे जाने वाले धरती और शुक्र ग्रह की जड़ें एक हैं, लेकिन बाद में दोनों का विकास एकदम अलग हुआ है, असमान जुड़वां बच्चों की तरह। एक सूखा और दुर्गम है तो दूसरा नम और जीवन से भरपूर।

धरती और शुक्र एक दूसरे से इतने अलग क्यों हैं, इसकी वजहों का पता करने में विज्ञान अब तक नाकाम रहे हैं। लेकिन अब इसकी गुत्थियां खुल सकती हैं। नेचर पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट में जापान के रिसर्चरों की एक टीम ने कहा है कि इसका जवाब इन ग्रहों की सूरज से दूरी में छुपा है। हालांकि दोनों ग्रह कॉस्मिक स्केल पर करीब हैं, धरती सूरज से 15 करोड़ किलोमीटर दूर है और शुक्र 10.8 करोड़ किलोमीटर।

रिसर्च टीम का कहना है कि बहुत संभव है कि दोनों अपने केंद्र से क्रिटिकल दूरी के इस पार और उस पार चक्कर लगाते हैं। माना जाता है कि यही कारण है कि 4.5 अरब साल पहले जन्म के समय लगभग एक जैसे ग्रह ठोस अवस्था में अब इतने अलग दिखने लगे हैं।

टाइप वन और टू ग्रह : 12,000 किलोमीटर की दूरी पर शुक्र का व्यास धरती के व्यास का 95 प्रतिशत है और उसका पिमंड 80 प्रतिशत है। वह धरती और बुध ग्रह के बीच सूरज के चक्कर लगाता है। बुध सूरज का सबसे करीबी ग्रह है। जहां तक दोनों के बीच अंतर का सवाल है तो शुक्र की सतह पर पानी नहीं है और उसका माहौल बहुत भारी और जहरीला है, जो तकरीबन पूरी तरह कार्बन डाय ऑक्साइड से बना है। सतह पर औसत तापमान 477 डिग्री सेल्सियस है।

रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि सूरज से क्रिटिकल दूरी के बाहर स्थित धरती जैसे टाइप वन ग्रह के पास लाखों सालों की तरल स्थिति में ठोस अवस्था में आने का समय था और इस प्रक्रिया में पत्थरों में और ठोस सतह के नीचे पानी जमा होता गया।

इसके विपरीत टाइप टू ग्रह, शुक्र जिसकी मिसाल हो सकता है, ज्यादा समय तक तरल अवस्था में रहे। 10 करोड़ साल से भी ज्यादा और इन सालों में उन्हें सूरज से ज्यादा गर्मी मिली, जिसकी वजह से पानी को सूखने के लिए ज्यादा वक्त भी मिला।

जापानी रिसर्च टीम का कहना है कि शुक्र ग्रह को अभी तक श्रेणीबद्ध नहीं किया गया है, क्योंकि वह सूरज की क्रिटिकल दूरी के बहुत पास है। हालांकि उसका सूखापन उसे टाइप टू ग्रह का चरित्र प्रदान करता है।

रिसर्चरों का कहना है कि नया तरीका हमारे सौरमंडल के बाहर के ग्रहों के अध्ययन में फायदेमंद साबित होगा। इससे यह पता करने में मदद मिलेगी कि कौन से ग्रह जीवन के लिए सबसे उपयुक्त होंगे। उन्होंने लिखा है, 'मौजूदा नतीजे दिखाते हैं कि रहने योग्य ग्रहों पर समुद्रों की तेज रचना ग्रह की सृष्टि के बाद कुछ ही लाख साल में हुई होगी।'

- एमजे/आईबी (एएफपी)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi