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बॉलीवुड फिल्मों में फिर लौटा खलनायकों का दौर

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, मंगलवार, 24 जनवरी 2012 (19:12 IST)
सुपर डुपर हिट फिल्म शोले और मिस्टर इण्डिया जैसी फिल्मों की कल्पना के बगैर गब्बर सिंह और मोगेम्बो के साथ नहीं की जा सकती। कुछ समय की खामोशी के बाद अब फिर से फिल्मों में खलनायकों का दौर लौट आया है।

भारतीय फिल्मों में खलनायकों की हमेशा से ही अहम भूमिका रही है। रंजीत, प्राण, अमजद खान, जीवन, अमरीश पुरी, अनुपम खेर, शक्ति कपूर और गुलशन ग्रोवर जैसे खलनायकों ने जो मकाम हासिल किया उसे कम नहीं आंका जा सकता। बेहतर संवाद अदायगी, सशक्त भूमिकाओं ने खलनायकों को भी बुलंदियों तक पहुंचा दिया। मोगेंबो खुश हुआ और अरे ओ सांभा जैसे संवाद आज भी लोगों के जेहन में बसे हैं। लेकिन बाद में रोमांटिक, कॉमेडी और पारिवारिक कहानियों पर बनने वाली फिल्मों की लोकप्रियता ने खलनायकों के दौर को लगभग खत्म सा कर दिया। उनका जलवा बड़े पर्दे से धीरे-धीरे धुंधला होने लगा। लेकिन इन दिनों फिर से एक्शन फिल्मों का दबदबा फिल्म उद्योग पर छाने लगा है।

खलनायकों का अहम योगदान : एक के बाद एक सफल होती एक्शन फिल्मों गजनी, ओम शांति ओम, वांटेड, दबंग, सिघंम, और फोर्स जैसी फिल्मों ने सभी का ध्यान अपनी और खींचा है। जल्द ही रिलीज होने जा रही एक और चर्चित एक्शन फिल्म अग्निपथ में अभिनेता संजय दत्त खलनायक बने नजर आएगें। वे इस फिल्म में कांचा चीना की भूमिका में होंगे। पुरानी अग्निपथ फिल्म में डैनी ने इस रोल में काफी नाम कमाया था।

फिल्म इंडस्ट्री को कई हिट फिल्में देने वाले फिल्म निर्माता करन जौहर का कहना है कि हिन्दी फिल्मों में एक बार फिर से वह दौर लौट रहा है जब फिल्म में एक हीरो, एक हिरोइन और एक खलनायक होता था और संजय दत्त से बेहतर कौन जान सकता है कि एक खलनायक का क्या महत्व होता है। मोटी सूजी हुई आंखे, चेहरे पर कुटिल मुस्कान, शरीर पर गुदे डरावने टैटू और मजबूत शक्तिशाली शरीर, संजय ने इस किरदार को नए ढंग से पेश किया है। अग्निपथ फिल्म 26 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है।

संजय और रितिक दोनों के लिए इस फिल्म में यह भी चुनौती है की वे मूल फिल्म में अमिताभ और डैनी के किरदारों के करीब नजर आये। संजय कहते हैं कि फिल्मों में खलनायक शुरू से ही काफी ताकतवर रहे हैं। यदि आप बैटमेन और स्पाइडरमैन सीरिज की फिल्में देखेंगे तो उसमे खलनायक काफी महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आते है।

संजय अकेले ऐसे हीरो नहीं है जिन्होंने खलनायक का किरदार निभाया है। उनके पहले भी अजय देवगन की सिंघम में तमिल अभिनेता प्रकाश राज ने नकारात्मक भूमिका निभाई। सिंघम और वांटेड फिल्म में प्रकाश का किरदार नकारात्मक होने के साथ-साथ कॉमेडी से भी भरपूर था। इसी तरह सलमान खान की फिल्म दबंग में सोनू सूद ने छेदी सिंह की भूमिका निभाई। अब इस फिल्म के दूसरे भाग के लिए भी इसी तरह के सशक्त खलनायक की जरूरत होगी। अभिनेता अर्जुन रामपाल के करियर में भी तब बड़ा बदलाव आया जब उन्होंने फराह खान की फिल्म ओम शांति ओम में खलनायक की भूमिका निभाई थी। फिर प्रकाश झा की राजनीति और शाहरुख खान की फिल्म रा.वन में भी सशक्त नकारात्मक भूमिकाए उन्होंने की।

इतना ही नहीं बॉलीवुड के सुपरस्टार शाहरुख खान ने भी डर, बाजीगर जैसी फिल्मों में नकारात्मक भूमिका निभाई थी। बाद में वे डॉन और अब डॉन-2 में भी नकारात्मक भूमिका निभा रहे है। शाहरुख कहते हैं, 'जब मैं अच्छा हूं तब मैं अच्छा हूं, लेकिन जब मैं बुरा हूं तब भी में बेहतर हूं। मैं अंधेरे में एक बुरी आत्मा की तरह इस फिल्म में हूं और मुझे गर्व है अपनी भूमिका पर। बेशक हम फिल्मों में बुरे किरदारों को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं, लेकिन मुझे अपनी 70 फिल्मों में निभाए गया किरदारों में उतना मजा नहीं आया जितना डॉन-2 में आया।

अब तक नकारात्मक भूमिकाओं से दूरी बनाने वाले मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान भी आने वाली फिल्म धूम-3 में एक दमदार नकारात्मक भूमिका में नजर आने वाले है। उधर विवेक ओबेराय भी कृष-3 में सुपर विलेन की भूमिका में आ रहे हैं। वे पहले ही रामगोपाल वर्मा की फिल्म रक्त चरित्र में नकारात्मक भूमिका निभा चुके हैं।

रिपोर्टः पीटीआई/जितेंद्र व्यास
संपादनः एन रंजन

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