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रसोई में मर्दों का धावा

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औरत की जगह रसोई में होती है? नहीं, अब मर्द भी आजाद होने लगे हैं। बीफ यानी गोश्त-इस नाम से एक पत्रिका निकाली गई है। यह कुकिंग की पत्रिका है और मर्दों के लिए।

बीफ के मुख्य संपादक यान श्पीलहागेन का कहना है कि इस बीच बहुतेरे पुरुषों के लिए खाना बनाना एक हॉबी बन चुका है। उनकी पत्रिका ऐसे मर्दों के लिए है, जो चाव से खाना बनाना चाहते हैं। उन मर्दों के लिए नहीं, जिन्हें मजबूरी में खाना बनाना पड़ता है। श्पीलहागेन का मानना है कि ऐसे संभावित पाठकों की संख्या लाखों में है।

बहुतेरे पुरुषों के लिए खाना बनाना एक हॉबी बन चुका है। बीफ पत्रिका ऐसे मर्दों के लिए है, जो चाव से खाना बनाना चाहते हैं। उन मर्दों के लिए नहीं, जिन्हें मजबूरी में खाना बनाना पड़ता है। ऐसे संभावित पाठकों की संख्या लाखों में है।
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बीफ संपादक का दावा है कि मर्दों का खाना बनाने का नजरिया औरतों से कुछ अलग होता है। जल्दबाजी में उन्हें यकीन नहीं। सस्ता है या नहीं, इसका भी वे ख्याल नहीं करते, वे नहीं सोचते कि यह सेहदमंद है या नहीं, बच्चों को पसंद है या नहीं. उनके लिए सबसे बड़ी बात यह है कि उनका बनाया खाना अजीबोगरीब है या नहीं।

और इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए उनकी पत्रिका निकाली जा रही है। इसमें एक फॉर-कोर्स मेन्यु पेश किया गया है - सिर्फ मर्दों के लिए। पहला कोर्स-हिरन के गोश्त का हल्का सूप, जिसमें बन-संजली का सॉस डाला जाएगा।

दूसरा कोर्स-मसूर का शोरबा, जिसमें झींगा मछली डाली जाएगी। तीसरा कोर्स संतरा, वोदका और हरे लहसुन से बनी यूरोपीय हैलिबट मछली और आखिर में चौथा कोर्स-म्युंस्टर के मशहूर पनीर से बना बवेरियन क्रीम और उसके साथ सफेद अंगूर और पुदीने का सलाद।

कितना भी अजीब हो, क्या यह मेन्यू औरतों के लिए नहीं हो सकता है? नहीं, श्पीलहागेन कहते हैं कि उनकी पत्रिका मर्दों के लिए है। खैर, कोई बात नहीं। इतना बता दिया जाए कि इस मेन्यु के लिए जरूरी सामानों की कीमत 650 यूरो यानी लगभग 35,000 रुपए है।

मर्द अगर खाना बनाते हैं तो अजीबोगरीब आइडिया ही काफी नहीं है, जिनके लिए वक्त देना पड़ता है, पैसे भी खर्च करना पड़ते हैं।

वैसे कहना पड़ेगा कि पत्रिका का नाम 'बीफ' जर्मन नहीं, बल्कि काफी इंटरनेशनल लगता है। ऐसा एक नाम, जो आज की यप्पी जेनरेशन को एटैक्ट करे, लेकिन एक बात इस पत्रिका में नहीं कही गई है। खाना तो बन जाएगा, मर्द इसमें कहाँ पीछे रहने वाले हैं, लेकिन उसके बाद बर्तन कौन साफ करेगा?

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