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क्या है षड़ाष्टक दोष

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हमें फॉलो करें भारती पंडित

भारती पंडित

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प्राय: कुंडली मिलान करते समय षड़ाष्टक दोष को प्रमुखता से देखा जाता है। यदि लड़के और लड़की की कुंडलियों में यह दोष हो तो उस विवाह संबंध को न करने की सलाह दी जाती है।

आइए देखें क्या होता है षड़ाष्टक दोष : ज्योतिष में 6 और 8 अंक प्राय: अशुभ समझे जाते हैं। छठा भाव रोग व आठवाँ मृत्यु का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार 12 राशियों की कल्पना की जाती है जिनका स्वभाव व गुण धर्म अलग-अलग होते हैं। एक राशि से प्रारंभ करके यदि कोई राशि 6 या 8 स्थान पर आती है तो उस राशि के स्त्री या पुरुष से विवाह संबंध करना उचित नहीं होगा।

जैसे : यदि लड़के की राशि मेष है। मेष राशि से गिनने पर छठे स्थान पर कन्या राशि और आठवें स्थान पर वृश्चिक रा‍शि आती है। मेष राशि अग्नि तत्व की राशि है, चर राशि है जिसका स्वामी मंगल है। कन्या राशि वायु तत्व की ‍राशि है, द्विस्वभाव राशि है जिसका स्वामी बुध है। अत: इन दोनों राशियों के गुण-धर्म-स्वभाव एकदम विपरीत हैं।

फलत: इन दो राशियों के व्यक्तियों का आपस में सामंजस्य नहीं हो सकता। इसी प्रकार वृश्चिक राशि जल तत्व की, स्थिर राशि है जिसका स्वामी मंगल है। राशि स्वामी एक होने पर भी मूल स्वभाव में भिन्नता है अत: इन दोनों ‍राशियों में पूर्ण सामंजस्य रहना कठिन ही है।

ध्यान रखने की बात है कि दो कुंडलियाँ अच्छी तरह से (गुणों के अनुसार) मिली हो मगर षड़ाष्टक दोष मौजूद हों (विशेषत: धनु-वृषभ, तुला-मीन, मेष-कन्या, कर्क-कुंभ आदि) तो दंपत्ति में वैचारिक मतभेद सारी उम्र बने रहते हैं और घर का माहौल तनावपूर्ण ही रहता है।

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विशेष : मेरा स्व अनुभव है कि यह षड़ाष्टक दोष केवल वैवाहिक संबंधों को ही नहीं, हमारे मित्रों-प्रोफेशनल रिलेशन्स में भी दखल रखता है। हमारी राशियों से छठे या आठवें स्थान पर आने वाली राशियों के व्यक्तियों से हमारी मित्रता नहीं हो पाती। प्राय: उनसे खटपट होती रहती है। यही नहीं हमारे जीवन काल में हमें आर्थिक व मानसिक नुकसान देने में भी इस दोष वाले व्यक्तियों (मित्र या शत्रु) का हाथ होता है। अत: इस दिशा में सावधानी रखकर हानि से बचा जा सकता है।

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