विवाह के बाद वर-वधू की पहली इच्छा संतान की प्राप्ति होती है। वैदिक ज्योतिष में इस पक्ष को लेकर गहरी खोज की गई है।
ज्योतिष के आधार पर यह आसानी से तय किया जा सकता है कि किसे, किस उम्र में संतान का सुख प्राप्त होगा तथा किन योगों के कारण मनुष्य संतान सुख से वंचित रह सकता है।
इसके अलावा पंचम भाव से कब और कितनी संतान होगी, इसका पता चलता है। पंचमेश जब छह, आठ, बारह भाव में बैठा हो तो मनुष्य को संतान सुख में विलंब होता है। यदि वर-वधू में नवपंचम दोष तो संतान सुख देर से ही मिलता है।