जन्म कुंडली में मध्य स्थान को लग्न या प्रथम भाव कहते हैं। इस भाव से घड़ी की सुई की विपरीत दिशा से प्रत्येक घर की संख्या निश्चित है।
यदि किसी पत्रिका में लग्न (प्रथम भाव), चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव अथवा द्वादश भाव में से किसी एक भाव में मंगल लिखा होता है तो पत्रिका मांगलिक होती है। अर्थात कुल बारह स्थानों में से पाँच स्थानों पर मंगल होने से पत्रिका मांगलिक हो जाती है।
इस अनुसार लगभग चालीस प्रतिशत पत्रिकाएँ मांगलिक हैं। मंगल कई राजयोगों का भी कारक है। अतः इससे भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है।