जन्म कुंडली आधारित मुहूर्त निर्धारण
- पं. विजय रावल
जन्म कुंडली पर आधारित एक दिन के अनुष्ठान के लिए ध्यान रखने योग्य 'वैदिक विज्ञान' के नियम-संयम हैं जिनसे पता चलता है कि इतने भव्य यज्ञ-अनुष्ठानों के संपादन के लिए क्या किया जाना चाहिए। इस प्रकार इतनी विस्तृत चेक लिस्ट का ध्यान जब एक नवग्रह वैदिक शांति पूजन में रखा जाना चाहिए। -
जन्म कुंडली में उपस्थित लग्न, राशि नक्षत्र पर आधारित मुहूर्त निर्धारण।-
चंद्रमा में 100 लग्न में हजार गुण होते हैं और लग्न में हजार (बृहज्योतिः-32) अतः यजमान की जन्म कुंडली के अनुसार श्रेष्ठ लग्न का समय ही अनुष्ठान के लिए श्रेष्ठ होता है।-
अनुष्ठान के पहले व्रत, शारीरिक, मानसिक शुद्धि।-
समीप के तीर्थस्थल पर देव, ऋषि, पितृ तर्पण। -
श्रेष्ठ नक्षत्र का होना (त्याज नक्षत्र छोड़कर)।-
चंद्रमा का जन्म कुंडली के अनुसार 1/2/5/9/10/11 भाव में होना। -
चैत्र से लेकर सभी महीनों की विभिन्न तिथियों के स्वामियों का अनुकूलन (मुहूर्त चि)।-
योग का अनुकूल होना, करण का अनुकूल होना। -
मुहूर्त प्रकरण के पश्चात शुद्धिकरण हिमाद्रि होना।-
यजुर्वेदीय (मुख्य आधार वेद, कर्मकांड) के नियमानुसार पंचम स्वर मुख्यतः मंत्र ध्वनियों में प्रयुक्त होना।