जिस प्रकार दर्पण हमारे वास्तविक चेहरे से अवगत कराता है, उसी प्रकार जन्म पत्रिका रूपी आईना भी भविष्य के बारे में सटीक बातें बताता है। यहाँ पर प्रस्तुत आलेख में सिर्फ उत्तम भवन के बारे में ही कुछ महत्वपूर्ण योगा-योग देकर बताएँगे कि आपके भाग्य में उत्तम भवन के मालिक बनने के योग हैं या नहीं। मकान के बारे में हमें जन्म पत्रिका में लग्न से चतुर्थ भाव में जानकारी मिलती है। चतुर्थ भाव का भावाधिपति किस भाव में किसी ग्रह के साथ दृष्ट होगा, यह जानेंगे।
* यदि चतुर्थ भाव में स्वक्षेत्री चंद्र, शुक्र, मंगल, गुरु, बुध हो या इस भाव में उच्च के ग्रह हों यथा मंगल मकर में हो या गुरु कर्क हो या शुक्र मीन में हो या शनि तुला में हो या बुध कन्या में हो या चंद्रमा वृषभ में हो या चतुर्थ भाव का स्वामी पंचम भाव में हो या नवम भाव में हो तो उसे उत्तम भवन बाग-बगीचे वाला या फार्म हाउस का मालिक बनाता है।
* यदि चतुर्थ भाव में चर राशि यथा मेष, कर्क, तुला, मकर हो या चतुर्थ भाव का स्वामी चर राशियों में हो एवं उस पर शुभ ग्रह की युति या दृष्टि हो तो उस व्यक्ति को शासकीय भवन मिलता है।
* यदि चतुर्थ भाव का स्वामी स्थिर राशि या द्विस्वभाव राशियों में बैठा हो तो ऐसे जातक दो प्रकार के सुख तथा स्थिर व अस्थिर मकानों में रहते हैं।
* यदि केंद्र भाव में शुभ ग्रह हो या त्रिकोण में शुभ ग्रह हो तो जातक के पास स्वयं का भवन अवश्य ही बनेगा।
* चतुर्थ भाव में कोई भी अशुभ ग्रह हो तो उसे आजीवन मकान का सुख नहीं मिलता यथा अशुभ ग्रह राहु, केतु और शनि हैं, लेकिन इनका उच्च राशि में होना मकान का सुख देगा।
* यदि भाग्येश चतुर्थ में व चतुर्थेश भाग्य में (नवम) में हो तो उसे भाग्य बल द्वारा मकान का सुख मिलेगा।
* यदि सप्तम भाव का स्वामी चतुर्थ में उच्च का बैठ जाए तो उसे पत्नी के सहयोग से भवन मिलेगा।
* यदि चतुर्थ भाव का स्वामी स्वयं अपने ही भाव में मित्र राशि में हो तो उसे पिता की संपत्ति मिलती है।
* यदि तृतीय भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में हो तो भाइयों के सहयोग से मकान बनता है।
* चतुर्थ भाव व दशम भाव के भावाधिपति यदि त्रिकोण में पंचम या नवम या लग्न में या केंद्र में हों तो वह व्यक्ति आजीवन शासकीय भवन का सुख भोगने वाला होता है।
* यदि चतुर्थ भाव का स्वामी उच्च का होकर भाग्य में हो तो उस भवन का उत्तम सुख मिलेगा।
* यदि चतुर्थ भाव में मंगल की चतुर्थ, सप्तम या अष्टम स्वदृष्टि पड़ रही होगी तो उसे उत्तम भवन का मालिक बनाएगी।
* चतुर्थ भाव में यदि षष्ठ भाव का स्वामी उच्च का या मित्र क्षेत्री होकर बैठ जाए तो उसे नाना-मामा के द्वारा भवन मिलेगा।
* यदि द्वितीय भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में स्वग्रही या उच्च का या मित्र क्षेत्री होकर बैठ जाए तो उसे परिवार के सहयोग से या कौटुम्बिक मकान मिलेगा।
* यदि चतुर्थ भाव का स्वामी उच्च का होकर कहीं बैठा हो एवं जिस भाव में उच्च का हो व उसका स्वामी भी उच्च का होकर कहीं भी बैठ जाए तो उसे उत्तम कोठी या उत्तम बंगले का सुख मिलता है।
* यदि चतुर्थ भाव का स्वामी पराक्रम में हो तो उसे अपने बलबूते पर साधारण मकान मिलता है।
* यदि चतुर्थ भाव में पंचम भाव का स्वामी मित्र क्षेत्री हो या उच्च का हो तो उसे पुत्रों द्वारा बनाए मकान का सुख मिलता है।
उपरोक्त सूत्र जिनकी पत्रिका में जिस प्रकार के होंगे, उसे उसी प्रकार का सुख मिलेगा।