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जन्म स्थिति से जाने स्वभाव...

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- पाटन वाले गुरुजी...
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Devendra SharmaND

* कृष्णपक्ष (अँधेरी रातें) में जन्म लेने वाले निष्ठुर, द्वेषी स्वभाव, क्रूरमति एवं ज्यादा सुंदर शरीर वाले नहीं होते हैं। किंतु ज्यादा परिश्रम करने वाले होते हैं।

* रात्रि में जन्म लेने वाले तामसिक स्वभाव, अधिककामी छिपकर या छिपाकर कार्य करने की मानसिकता वाले, व्यर्थ ही बकवास (अधिक वार्ता) करने वाले होते हैं।

* ग्रीष्म ऋतु में जन्म लेने वाले अन्य व्यक्तियों के मुकाबले चिद्दी व हठी स्वभाव, क्रोधी वृत्ति के, कृशदेह (दुबले) अधिक बोलने वाले होते हैं।

* आषाढ़ मास में जन्म लेने वाले जातक धर्मकर्म में रुचि लेने वाले किंतु ऋणी और आर्थिक तंगी से परेशान रहते हैं इन्हें शास्त्रों में अल्प सुखी कहा गया है।

* कार्तिक मास में जन्म लेने वालों को काम प्रवृत्ति के दुष्ट हृदय वाले और कटुवाणी के दोष लगते हैं। किंतु ये धनवान हो जाते हैं।
सूर्य के शत्रु ग्रह - शुक्र, शनि, राहू हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि यदि शत्रु बलवान है तो आत्मा को पीड़ा होती है। - शुक्र - भोग है। शनि - आलस्य है, राहू - अज्ञान है। ये तीनों सूर्य अर्थात हमारी आत्मा के शत्रु हैं, जो पीड़ा देते हैं।
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* माघ मास में जन्मे जातक बुद्धिमान तो होते हैं, पैसा कमाने में भी सफल हो जाते हैं किंतु खरा बोलने से अलोकप्रिय हो जाते हैं। इनमें काम भावना प्रबल होती है।

* प्रतिपदा को जन्मे जातक दुर्जन और कुसंगी हो जाते हैं। व्यसन इनका प्रमुख दोष होता है।
* द्वितीया तिथि को जन्मे लोग ज्यादा स्वार्थी होते हैं। परस्त्रीरत या कुदृष्टि वाले होते हैं। इनका व्यवहार अच्छा नहीं होता है। चोरों में ऐसे लोग ज्यादा होते हैं।
* तृतीया को जन्मे व्यक्ति ईर्ष्यालु एवं कुतर्की होते हैं।
* पष्ठी को जन्मे लोग लड़ाकू एवं संघर्षशील होते हैं। ये विवेक से काम नहीं लेते हैं।
* द्वादशी तिथि में जन्मे जातकों का स्वास्थ्य कमजोर रहता है। ये अस्थिर विचारधारा के होते हैं।
* अमावस्या को जन्मे व्यक्ति दीर्घसूत्री, आलसी होते हैं। अंतरज्ञानी या फिर मूर्ख भी होते हैं।

* जातक परिजात में लिखा गया है कि सूर्य हमारी आत्मा है, जो हमें जीवनी शक्ति देता रहता है। हमारी आत्मा बलवान हो तो सभी दोषों का समाधान प्राप्त होता जाता है।

* सूर्य के शत्रु ग्रह - शुक्र, शनि, राहू हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि यदि शत्रु बलवान है तो आत्मा को पीड़ा होती है। - शुक्र - भोग है। शनि - आलस्य है, राहू - अज्ञान है। ये तीनों सूर्य अर्थात हमारी आत्मा के शत्रु हैं, जो पीड़ा देते हैं।

* भविष्य का अर्थ - tommorrow is the result of today अतः सभी को अपने कल का भी पर्याप्त ध्यान रखना होता है।

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