किसी भी इंसान के जीवन में क्या होगा, कब होगा या उसका जीवन कैसा बीतेगा इसका कथन व्यक्ति की जन्मकुंडली में होता है। जन्मकुंडली के फल-कथन के माध्यम से ज्योतिष मनुष्य के कर्म, गति और भाग्य के बारे में कई बातें बता सकते हैं। इसमें भाव तथा ग्रहों के विश्लेषण का बहुत महत्व होता है।
जिस भाव में जो राशि होती है उसी राशि के स्वामी ग्रह को उस भाव का भावेश कहते हैं।
तृतीय, षष्ठ, एकादश भावों के पापी ग्रहों का रहना शुभ माना जाता है।
षष्ठ, अष्टम एवं द्वादश भाव के स्वामी जिन भावों में रहते हैं, उसका वह अनिष्ट करते हैं यदि वह स्वग्रही अथवा उच्च न हो तो।