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बारहवाँ लग्न अर्थात मीन का स्वभाव

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पं. सुरेन्द्र बिल्लौरे

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राशि के प्रथम चरण में मेष एवं अंतिम चरण में मीन आता है। पूर्वा भाद्रपद के अंतिम चरण से रेवती नक्षत्र के अंतिम चरण तक मीन राशि विद्यमान रहती है। इस राशि का स्वामी गुरु है।

इस लग्न में जन्म लेने वाला जातक लग्न का स्वामी शुभ होने पर सुंदर, रूपवान, धनी, ईमानदार व अपने कार्य में निष्ठा रखने वाला एवं कार्य क्षेत्र में माननीय पद पर पहुँचाने वाला होता है। वह सीधे स्वभाव वाला, जरूरतमंद व्यक्ति का मदद करने वाला भी होता है। ऐसे जातक के लेखक या कवि बनने के योग बनते हैं। परंतु लग्न में क्रूर ग्रह स्थित हो या उसकी दृष्‍टि पड़ रही हो तो जातक मादक द्रव्य लेने वाला या व्यभिचारी, शराबी हो सक‍ता है अर्थात् होने के प्रबल योग रहते हैं।

लेखक, दूसरों की हमेशा सहायता करने वाला, गुप्त विद्या का ज्ञाता, देशभक्ति रखने वाला व्यक्ति इसी लग्न में पैदा होता है। इस लग्न के जातक समाजसेवी, राजनीतिज्ञ लेखक तथा स्वास्थ्य सेवा में नर्स की नौकरी करना ज्यादा पसंद करते हैं।
  राशि के प्रथम चरण में मेष एवं अंतिम चरण में मीन आता है। पूर्वा भाद्रपद के अंतिम चरण से रेवती नक्षत्र के अंतिम चरण तक मीन राशि विद्यमान रहती है। इस राशि का स्वामी गुरु है।      


लग्नेश गुरु तृतीय भाव में उपस्थिति हो तो भाइयों की संख्या बढ़ाता है और व्यय भाव में होने से पिता से मिलने वाली मदद में वृद्धि होती है।

मीन लग्न में उत्पन्न जातक की कुंडली के सातवें भाव में शनि या शुक्र की दृष्‍टि पड़ जाए तो पत्नी से तलाक लेने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसा माना गया है कि मीन लग्न वाला जातक पत्नी के वशीभूत रहता है।

मीन लग्न में यदि शुक्र उच्च का हो तो व्यक्ति संगीत में रुचि रखने वाला, कलाकार बनता है। अन्य किसी भाव में हो तो भाग्य खराब करता है।

मीन लग्न कुंडली में मंगल द्वादश भाव में होने पर या उसकी दशा-महादशा आने पर किसी भी विभाग या देश का शासक बनाता है। परंतु यदि शनि की दृष्‍टि पड़ रही हो तो जेल भिजवा सकता है।

लग्नाधिपति बृहस्पति यदि पंचम भाव में विराजमान रहते हैं तो अनेक प्रकार की यात्रा करवाता है एवं गुरु की महादशा में उच्च पद पर पहुँचाता है।

इस लग्न में बुध अच्छा नहीं होता है। इसकी महादशा में स्थान परिवर्तन कराता है। विशेषकर निवास बदलने के योग बनाता है। यदि व्यय भाव में बैठा हो तो गृहस्थी में स्वास्थ्य खराब, मित्र, परिवार, सहयोगी से झगड़ा करा सकता है।

मीन लग्न वालों ने पुखराज धारण करना चाहिए एवं मूँगा (मंगल स्वामी) भी शुभ फल देता है।

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