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लग्न में सूर्य हो तो

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भारती पंडित

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हमने पिछले लेख में विविध लग्न और उनके स्वभाव के बारे में पढ़ा। अब इसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए हम पढ़ेंगे कि यदि लग्न भाव में सूर्य बैठा हो तो वह जातक को क्या परिणाम देगा।

* लग्न का सूर्य जातक को क्रोधी बनाता है। ये व्यक्ति लंबे कद के, वाक-पटु, विवादी व विद्वान होते हैं, अहंकारी भी होते हैं। नेत्ररोग की संभावना प्रबल होती है।

मेष राशि (उच्च) का सूर्य जातक को यशस्वी, पराक्रमी व प्रसिद्ध बनाता है। वहीं तुला (नीच) का सूर्य धन की कमी कराता है, विद्या जरूर देता है। वृषभ का सूर्य व्यसनी बनाता है, मिथुन व कन्या का सूर्य प्रगतिकारक मगर अधिक कन्या सं‍तति वाला होता है। कर्क का सूर्य ज्ञानी मगर प्रबल नेत्ररोगी बनाता है। सिंह राशि का सूर्य राजपक्ष से फायदा देने वाला, वृश्चिक का सूर्य प्रतिभावान, दानी, धनु का सूर्य उदार, स्नेही, मकर का सूर्य हृदय रोगी, अशांत, कुंभ का सूर्य अहंकारी मकर यशस्वी तथा मीन का सूर्य जनप्रिय बनाता है।

* सूर्य जिन लग्नों के लिए अकारक माना जाता है। (मिथुन, तुला, मीन) उन लग्नों में सूर्य का होना अच्छा नहीं माना जाता।

* वहाँ सूर्य भाव फल की हानि करता है तथा विपरीत प्रभाव देता है अत: ऐसे में सूर्य की उपासना, रविवार का व्रत व गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।

* पिता का आदर करें।

* सूर्य की अनुकूल स्थिति वाले लग्न के लिए सूर्य लाभ देता है। मगर फिर भी जातक को अहंकार से बचना चाहिए, गुरु व माता-पिता का सम्मान करना चाहिए।

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