हर मनुष्य की हथेली में अलग-अलग चिह्न होते हैं और उनका फल भी अलग-अलग होता है। किसी की हथेली पर क्रॉस का चिह्न जहां जीवन में आने वाली बाधाओं को दर्शाता है, तो तर्जनी पर्वत पर धन का चिह्न सौभाग्य का सूचक माना गया है।
सामुद्रिक शास्त्र में हथेलियों पर बनने वाले चिह्नों के बारे में विस्तार से लिखा है। यह चिह्न सौभाग्यशाली, सुखी, सम्मानित व प्रभावशाली वक्ता के साथ नेतृत्व प्रधान की शक्ति भी देता है।
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* जिस जातक की हथेली में सूर्य के समान चिह्न हो तो ऐसा जातक प्रखर बुद्धिमान, शोधकर्ता, आविष्कारक, यथार्थवादी और यश-मान अर्जित करने वाले होते हैं। ऐसे जातक व्यावहारिक जीवन में बहुत सादगी से रहते हैं। धन-वैभव, मान-प्रतिष्ठा पाने वाले होते हैं।
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* जिस जातक की हथेली में मंगल पर्वत के आसपास त्रिशूल का चिह्न हो तो शिव योग बनता है। ऐसा जातक शिव कृपा का पात्र होता है। दयालु स्वभाव, परोपकारी, स्वावलंबी, परहितकारी, समाजसेवक होता है।
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* शुक्र पर्वत पर यदि हाथी का चिह्न हो तो ब्रह्म योग का निर्माण करता है। ऐसा जातक प्रखर बुद्धि वाला, तेजस्वी, वाक् चातुर्य, गंभीर, आत्मविश्वासी, धैर्यवान, संतोषी होता है।
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* स्वस्तिक का चिह्न जिसकी हथेली में होता है, ऐसे जातक मान-प्रतिष्ठा पाने वाले होते हैं।
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* किसी की हथेली पर पद्म (कमल) चिह्न हो तो उसे विष्णु योग कहा जाता है। इसके फलस्वरूप वह जातक विपुल वैभव, ऐश्वर्य और अनेक संपत्तियों का मालिक होता है।
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* जिस जातक की हथेली में तराजु का चिह्न हो, उसे महालक्ष्मी का योग्य माना जाता है। ऐसा जातक ऐश्वर्यवान, धनवान, लक्ष्मीपुत्र होता है। समाज में उनका आदर होता है तथा अपनी बुद्धि के बल पर पूर्ण सफलता प्राप्त करने में सक्षम होते हैं।