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ज्योतिष सीखें : ऐसे जान सकते हैं अपना भविष्य...

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हमें फॉलो करें jyotish sikhe (hindi)

आचार्य डॉ. संजय

प्राचीन भारत में ज्ञान-विज्ञान पर आधारित अनेक विधाओं से न केवल वर्तमान अपितु भूत और भविष्य का भी भान होता था। उस  समय के पौराणिक ज्ञान को आज संदिग्ध दृष्टि से देखा जाता है लेकिन यदि इसका भली प्रकार विश्लेषण किया जाए तो पता चलता है कि प्राचीन भारतीय विज्ञान जैसे नक्षत्रों पर आधारित ज्योतिष शास्त्र कितना सटीक और प्रामाणिक था। 


 
इस विधा से किसी भी जातक के जीवन में होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। ऐसे कई ज्योतिषीय नियम हैं  जिनकी सहायता से किसी व्यक्ति या स्थान पर होने वाली घटना का समय बताया जा सकता है। 

 
 
आइए जानते हैं कि किसी भी घटना के समय को जानने के लिए क्या किया जाता है -
 
पढ़ें शेष भाग अगले पन्ने पर...

 
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प्रमुख बिंदु जिन पर अत्यधिक जोर दिया जाता है : - 
 
* लग्न और लग्नेश को देखा जाता है।
* घटनाओं का संबंध किस भाव से है। 
* भाव का स्वामी कौन है।
* भाव का कारक ग्रह कौन है। 
* भाव में कौन-कौन से ग्रह हैं। 
* भाव पर किस ग्रह की दृष्टि है। 
 
जातक या स्थान पर कौन-सी ग्रह महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा, सूक्ष्म एवं प्राण दशा चल रही है। इसके अलावा भाव को प्रभावित  करने वाले ग्रहों की गोचर स्थिति भी देखना चाहिए। इन सभी का अध्ययन करने से किसी भी घटना का समय जाना जा सकता है। 
 
अगले अंक में हम जानेंगे कि क्या कुंडली के आधार पर किसी दुर्घटना का पूर्व समय भी जाना जा सकता है...? 

 

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