Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

जन्म पत्रिका क्या कहती है?

Advertiesment
हमें फॉलो करें जन्म पत्रिका
webdunia

पं. अशोक पँवार 'मयंक'

जन्म पत्रिका बनाना सीखने से पहले हमें जान लेना होगा कि जन्म पत्रिका क्या कहती है व इससे क्या जाना जा सकता है? जन्म पत्रिका वह है, जिसमें जन्म के समय किन ग्रहों की स्थिति किस प्रकार थी व कौन-सी लग्न जन्म के समय थी। जन्म पत्रिका में बारह खाने होते हैं, जो इस प्रकार हैं-

उपरोक्त कुंडली में प्रथम भाव लिया है, उसमें जो भी नंबर हो उसे जन्म लग्न कहते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि उस भाव में 1 नंबर है तो मेष लग्न होगा, उसी प्रकार 2 नंबर को वृषभ, 3 नंबर को मिथुन, 4 को कर्क, 5 को सिंह, 6 को कन्या, 7 को तुला, 8 को वृश्चिक, 9 को धनु, 10 को मकर, 11 को कुंभ व 12 नंबर को मीन लग्न कहेंगे। इसी प्रकार पहले घर को प्रथम भाव कहा जाएगा, इसे लग्न भी कहते हैं।

जन्म पत्रिका के अलग-अलग भावों से हमें अलग-अलग जानकारी मिलती है, इसे हम निम्न प्रकार जानेंगे-

प्रथम भाव से हमें शारीरिक आकृति, स्वभाव, वर्ण चिन्ह, व्यक्तित्व, चरित्र, मुख, गुण व अवगुण, प्रारंभिक जीवन विचार, यश, सुख-दुख, नेतृत्व शक्ति, व्यक्तित्व, मुख का ऊपरी भाग, जीवन के संबंध में जानकारी मिलती है। इस भाव से जनस्वास्थ्य, मंत्रिमंडल की परिस्थितियों पर भी विचार जाना जा सकता है।

द्वितीय भाव से हमें कुटुंब के लोगों के बारे में, वाणी विचार, धन की बचत, सौभाग्य, लाभ-हानि, आभूषण, दृष्टि, दाहिनी आँख, स्मरण शक्ति, नाक, ठुड्डी, दाँत, स्त्री की मृत्यु, कला, सुख, गला, कान, मृत्यु का कारण एवं राष्ट्रीय विचार में राजस्व, जनसाधारण की आर्थिक दशा, आयात एवं वाणिज्य-व्यवसाय आदि के बारे में जाना जा सकता है। इस भाव से कैद यानी राजदंड भी देखा जाता है।

तृतीय भाव से भाई, पराक्रम, साहस, मित्रों से संबंध, साझेदारी, संचार-माध्यम, स्वर, संगीत, लेखन कार्य, वक्ष स्थल, फेफड़े, भुजाएँ, बंधु-बांधव। राष्ट्रीय ज्योतिष के लिए रेल, वायुयान, पत्र-पत्रिकाएँ, पत्र व्यवहार, निकटतम देशों की हलचल आदि के बारे में जाना जाता है।

चतुर्थ भाव में माता, स्वयं का मकान, पारिवारिक स्थिति, भूमि, वाहन सुख, पैतृक संपत्ति, मातृभूमि, जनता से संबंधित कार्य, कुर्सी, कुआँ, दूध, तालाब, गुप्त कोष, उदर, छाती, राष्ट्रीय ज्योतिष हेतु शिक्षण संस्थाएँ, कॉलेज, स्कूल, कृषि, जमीन, सर्वसाधारण की प्रसन्नता एवं जनता से संबंधित कार्य एवं स्थानीय राजनीति, जनता के बीच पहचान- यह सब देखा जाता है।

पंचम भाव में विद्या, विवेक, लेखन, मनोरंजन, संतान, मंत्र-तंत्र, प्रेम, सट्टा, लॉटरी, अकस्मात धन लाभ, पूर्वजन्म, गर्भाशय, मूत्राशय, पीठ, प्रशासकीय क्षमता, आय भी जानी जाती है क्योंकि यहाँ से कोई भी ग्रह सप्तम दृष्टि से आय भाव को देखता है।

षष्ठ भाव इस भाव से शत्रु, रोग, ऋण, विघ्न-बाधा, भोजन, चाचा-चाची, अपयश, चोट, घाव, विश्वासघात, असफलता, पालतू जानवर, नौकर, वाद-विवाद, कोर्ट से संबंधित कार्य, आँत, पेट, सीमा विवाद, आक्रमण, जल-थल सैन्य के बारे में जाना जा सकता है।

सप्तम भाव स्त्री से संबंधित, विवाह, सेक्स, पति-पत्नी, वाणिज्य, क्रय-विक्रय, व्यवहार, साझेदारी, मूत्राशय, सार्वजनिक, गुप्त रोग, राष्ट्रीय नैतिकता, वैदेशिक संबंध, युद्ध का विचार भी किया जाता है। इसे मारक भाव भी कहते हैं।

अष्टम भाव से मृत्यु, आयु, मृत्यु का कारण, स्त्री धन, गुप्त धन, उत्तराधिकारी, स्वयं द्वारा अर्जित मकान, जातक की स्थिति, वियोग, दुर्घटना, सजा, लांछन आदि इस भाव से विचार किया जाता है।

नवम भाव से धर्म, भाग्य, तीर्थयात्रा, संतान का भाग्य, साला-साली, आध्यात्मिक स्थिति, वैराग्य, आयात-निर्यात, यश, ख्याति, सार्वजनिक जीवन, भाग्योदय, पुनर्जन्म, मंदिर-धर्मशाला आदि का निर्माण कराना, योजना, विकास कार्य, न्यायालय से संबंधित कार्य जाने जाते हैं।

दशम भाव से पिता, राज्य, व्यापार, नौकरी, प्रशासनिक स्तर, मान-सम्मान, सफलता, सार्वजनिक जीवन, घुटने, संसद, विदेश व्यापार, आयात-निर्यात, विद्रोह आदि के बारे में जाना जाता है। इस भाव से पदोन्नति, उत्तरदायित्व, स्थायित्व, उच्च पद, राजनीतिक संबंध, जाँघें एवं शासकीय सम्मान आदि के बारे में जाना जाता है।

एकादश भाव से मित्र, समाज, आकांक्षाएँ, इच्छापूर्ति, आय, व्यवसाय में उन्नति, ज्येष्ठ भाई, रोग से मुक्ति, टखना, द्वितीय पत्नी, कान, वाणिज्य-व्यापार, परराष्ट्रों से लाभ, अंतरराष्ट्रीय संबंध आदि जाना जाता है।

द्वादश भाव से व्यय, हानि, दंड, गुप्त शत्रु, विदेश यात्रा, त्याग, असफलता, नेत्र पीड़ा, षड्यंत्र, कुटुंब में तनाव, दुर्भाग्य, जेल, अस्पताल में भर्ती होना, बदनामी, भोग-विलास, बायाँ कान, बाईं आँख, ऋण आदि के बारे में जाना जाता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi