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विवाह बाद भाग्योदय हो यदि...

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पं. अशोक पँवार 'मयंक'

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यूँ तो वृषभ लग्न शुक्र प्रधान लग्न है। इसमें मंगल सप्तमेश मार्केश होकर द्वादशेश व्यय स्थान का स्वामी होता है। अत: इसमें मंगल अकारक ही होता है। इस लग्न वालों के लिए मूँगा नुकसानप्रद ही रहता है।

हाँ राशि भेदानुसार व ग्रहों की स्थितिनुसार मूँगा पहन सकते हैं। मंगल जब नवम धर्म, भाग्य, यश भाव में हो तो उच्च का होने से‍विवाह बाद भाग्योदय होता है या पत्नी/पति से लाभ मिलता है

मंगल के साथ सूर्य हो तो पारिवारिक सुख मिला-जुला रहता है। मकान सुख अवश्य रहता है। चंद्र साथ होने पर पराक्रम से लाभ, भाई की अपेक्षा बहन से लाभ मिलता है। बाहरी संबंध अच्छे रहते हैं। बुध साथ हो तो विद्या उत्तम, धन-कुटुम्ब का लाभ, संतान भाग्यशाली-साहसी होती है। गुरु साथ हो तो एक उच्च, एक नीच का होने से मिले-जुले परिणाम मिलते हैं। आय में थोड़ी कमी, मित्रों, स्वजनों, भाइयों से सहयोग मिलता है।
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शुक्र साथ हो तो स्वप्रयत्नों से मामा से लाभ पाता है। शनि साथ हो तो भाग्येश भाग्य में होने पर भी भाग्य साथ नहीं देता क्योंकि शनि-मंगल का योग ठीक नहीं होता, जीवनसाथी को कष्ट या जल्द वैधव्य योग बनता है। ऐसी स्थिति में मंगलवार को मंगल की वस्तु अपने ऊपर से 9 बार उतारकर जमीन में गाड़ें। मंगल के बाद राहु भी शुभ फल नहीं देता। जीवनसाथी व बाहरी संबंध में गड़बड़ी कराता है

केतु साथ होने पर कुछ ठीक परिणाम मिलते हैं। मंगल कर्म दशम भाव में हो तो शनि की कुंभ राशि में होने से मंगल पिता, राज्य, नौकरी में बाधा का कारण बनता है। माता, भूमि, भवन से लाभ मिलता है। चंद्र साथ हो तो कुंभ राशि में मंगल होने से उस जातक को गुस्से वाला बनाएगा।

सूर्य साथ हो तो सुख में वृद्धि लेकिन पिता से कम बनती है। अधिकारी वर्ग से भी बैर रहता है। बुध साथ होने पर विद्या से, व्यापार से, संतान से लाभ रहता है। गुरु साथ हो तो मिले-जुले परिणाम मिलते हैं। शुक्र साथ हो तो ऐसे जातक सेक्सी होकर व्यापार आदि में लाभ पाता है।

चिकित्सा, इं‍जीनियर में भी सफल होता है। शनि साथ हो तो पिता नहीं हों या बने नहीं। शासन में हो गड़बड़ी बनी रहे, व्यापार में हो तो घाटा रहे। राहु साथ हो तो परेशानियाँ आती रहती हैं। केतु साथ हो तो पिता-पुत्र साथ न रहें। मंगल एकादश में हो तो जीवनसाथी से अच्छा लाभ मिले। विदेश में रहकर भी धनलाभ रहे। चंद्र साथ हो तो अच्छे परिवार मिले। स्वप्रयत्नों से लाभ हो। सूर्य साथ हो तो सभी सुख मिले।

बुध साथ हो तो विद्या, धन में बाधा के बाद सफलता मिले। गुरु साथ होने पर भाइयों, मित्रों, साझेदारों से लाभ और जीवनसाथी से भी लाभ मिलता है। शुक्र साथ हो तो ऐसा जातक धन का लाभ ‍पाता है।

शनि साथ हो तो जीवनसाथी की जल्द मृत्यु हो सकती है या तलाक की नौबत आती है। शेयर-सट्टा में नुकसान रहता है। राहु साथ हो तो खर्चे अधिक रहते हैं। केतु शुभ फल देता है। अकस्मात धनलाभ भी रहता है। मंगल द्वादश में हो तो जीवनसाथी दूर से मिले। विदेश में भी जाने के योग बनते हैं।

सूर्य साथ हो तो पराक्रम अधिक करने पर बाहर सफलता मिलती है। बुध साथ हो तो विद्या उत्तम हो। गुरु साथ हो तो आय बाहर से हो, आयु उत्तम हो। शुक्र साथ होने पर नेत्र ज्योति कमजोर हो या चोट लगे। शनि साथ हो तो जीवनसाथी की मृत्यु बाहर हो व विदेश में नुकसान रहे।

राहु साथ हो तो बाहरी शत्रु अधिक हों। जीवनसाथी बीमार रहे। केतु साथ होने पर नेत्र में चोट लगती है। मंगल की महादशा में शनि या शनि की महादशा में मंगल का अंतर शुभ नहीं रहता।

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