शिक्षा पूर्ण होने के पश्चात अक्सर युवाओं के मन में यह दुविधा रहती है कि नौकरी या व्यवसाय में से उनके लिए उचित क्या होगा। इस संबंध में जन्मकुंडली का सटीक अध्ययन सही दिशा चुनने में सहायक हो सकता है।
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* पृथ्वी तत्व वाली राशि (वृष, कन्या, मकर) के जातकों को शारीरिक क्षमता वाले व्यवसाय जैसे कृषि, भवन निर्माण, राजनीति आदि में सफलता मिलती है।
* जल तत्व वाली राशि (कर्क, वृश्चिक, मीन) के जातक प्रायः व्यवसाय बदलते रहते हैं। इन्हें द्रव, स्प्रिट, तेल, जहाज से भ्रमण, दुग्ध व्यवसाय आदि में सफलता मिल सकती है।
* वायु तत्व (मिथुन, तुला, कुंभ) प्रधान व्यक्ति साहित्य, परामर्शदाता, कलाविद, प्रकाशन, लेखन, रिपोर्टर, मार्केटिंग आदि के कामों में अपना हुनर दिखा सकते हैं।
इस दिशा में विचार करने के लिए दशम स्थान में स्थित ग्रहों का विचार किया जाता है।
* दशम स्थान में सूर्य हो : पैतृक व्यवसाय (औषधि, ठेकेदारी, सोने का व्यवसाय, वस्त्रों का क्रय-विक्रय आदि) से उन्नति होती है। ये जातक प्रायः सरकारी नौकरी में अच्छे पद पर जाते हैं।
* चन्द्र होने पर : जातक मातृ कुल का व्यवसाय या माता के धन से (आभूषण, मोती, खेती, वस्त्र आदि) व्यवसाय करता है।
* मंगल होने पर : भाइयों के साथ पार्टनरशिप (बिजली के उपकरण, अस्त्र-शस्त्र, आतिशबाजी, वकालत, फौजदारी) में व्यवसाय लाभ देता है। ये व्यक्ति सेना, पुलिस में भी सफल होते हैं।
* बुध होने पर : मित्रों के साथ व्यवसाय लाभ देता है। लेखक, कवि, ज्योतिषी, पुरोहित, चित्रकला, भाषणकला संबंधी कार्य में लाभ होता है।
* बृहस्पति होने पर : भाई-बहनों के साथ व्यवसाय में लाभ, इतिहासकार, प्रोफेसर, धर्मोपदेशक, जज, व्याख्यानकर्ता आदि कार्यों में लाभ होता है।
* शुक्र होने पर : पत्नी से धन लाभ, व्यवसाय में सहयोग। जौहरी का कार्य, भोजन, होटल संबंधी कार्य, आभूषण, पुष्प विक्रय आदि कामों में लाभ होता है।
शनि :- शनि अगर दसवें भाव में स्वग्रही यानी अपनी ही राशि का हो तो 36वें साल के बाद फायदा होता है। ऐसे जातक अधिकांश नौकरी ही करते हैं। अधिकतर सिविल या मैकेनिकल इंजीनियरिंग में जाते है। लेकिन अगर दूसरी राशि या शत्रु राशि का हो तो बेहद तकलीफों के बाद सफलता मिलती है। अधिकांश मामलों में कम स्तर के मशीनरी कामकाज से व्यक्ति जुदा हो जाता है।
राहू :- अचानक लॉटरी से, सट्टे से या शेयर से व्यक्ति को लाभ मिलता है। ऐसे जातक राजनीति में विशेष रूप सफल रहते हैं।
केतु :- केतु की दशम में स्थिति संदिग्ध मानी जाती है किंतु अगर साथ में अच्छे ग्रह हो तो उसी ग्रह के अनुसार फल मिलता है लेकिन अकेला होने या पाप प्रभाव में होने पर केतु व्यक्ति को करियर के क्षेत्र में डूबो देता है।