मैं यह नहीं कहना चाहती कि जीवन में मुश्किलें नहीं आतीं। बहुत मुश्किलें रोजाना हमारे सामने आती रहती हैं। एक खत्म करो तो पलक झपकने से पहले ही दूसरी मुश्किल हमारे जीवन के दरवाजे पर मुँहबाए खड़ी हो जाती है। लेकिन फिर भी उन सबका मुकाबला करके, उन सभी आने वाली मुश्किलों का सामना करके इस रंगमंच पर खरे उतरना ही सच्ची मानवता की निशानी है। उसमें सबसे अच्छी बात और असली रंगमंच का मतलब तो तब है जब आपके खुद चारों तरफ से मुश्किलों में घिरे हुए हों, आप खुद उन मुश्किलों से उबर नहीं पा रहे हों। खुद की समस्याएँ, परिवार की समस्याएँ सुलझा नहीं पा रहे हों लेकिन तब भी किसी की सहायता करना किसी की मदद करना, वह चाहे आर्थिक हो या सामाजिक बहुत मायने रखता है क्योंकि कहते हैं भगवान उन्हीं लोगों की सहायता करता है जो खुद मुश्किलों में घिरे होने के बाद भी अपनी मुश्किलों से लड़ते हुए दूसरे की सहायता के लिए हमेशा एक स्तंभ बनकर खड़े रहते हैं।
एक मजबूत खंभे की तरह अपने रंगमंच की समस्याओं से निपटते हुए दूसरों की सहायता करने को तत्पर, तैयार रहते हैं। ऐसे ही लोगों की अच्छी सोच, अच्छे विचारों और एक-दूसरे की मदद करने की सोच के कारण ही आज दुनिया में इंसानियत नाम की चीज टिकी हुई है। ...और इसी इंसानियत और ईमानदारी के बल पर आप दुनिया के इस रंगमंच पर, अपने जीवन के इस रंगमंच पर खरे उतरते हैं, खरे उतर पाते हैं।
और इतना सब होने के बावजूद यही कहा जाता है जीना इसी नाम है... जिसने यह सोच, इन बातों को अपने जीवन में अंगीकार कर लिया उस इंसान को जीवन के रंगमंच के इस स्टेज से कोई नहीं हटा सकता, कोई नहीं हरा सकता क्योंकि वह इंसान खुद यही लाइन दोहराता रहता है... जीना इसी का नाम है... तो फिर आप भी अपनाएँ जीवन के इस रंगमंच को और हो जाएँ तैयार मुश्किलों से भरे, काँटों से भरे जीवन जीने के लिए और इतना सब होने के बाद भी बिखेरें अपने चारों तरफ खुशियों के बादल, सच्चाई और ईमानदारी के बादल और अपने स्टेज को बनाए रखें हमेशा हरा-भरा...!