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व्यंग्य : लो आ गया नागिन डांस का मौसम!

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श्याम यादव

देश में सर्दी, बारिश और गर्मी का अपना मौसम है या यूं कहा जाए कि इन मौसमों से ही आम जनजीवन चलता है। मगर एक ऐसा मौसम भी है जिस पर आज तक किसी मौसम विज्ञानी ने ध्यान दिया ही नहीं।
 
देश के सर्वाधिक लोकप्रिय इस मौसम के आने और जाने का अपना समय है। एक निश्चित नियत तिथि से इसका आगाज हो जाता है जिसका सबको इंतजार रहता है। इस मौसम का लुत्फ देशभर में दूरदराज तक के लोग उठाते हैं। क्या बच्चे, क्या जवान और किशोर? यहां तक कि प्रौढ़ भी इसका फायदा उठा ही लेते हैं।
 
दीपावली के 11 दिनों बाद जब देव के जागने का दिन होता है तब ये मौसम भी शुरू होता है। वैसे जो सोता है, वह उठता भी है, चाहे वह इंसान हो या भगवान। मगर देवताओं के जागने के इस पर्व का खासकर कुंआरे युवक-युवतियों को बेसब्री से इंतजार रहता है, क्योंकि इस मौसम के साथ ही 'मंगलम् भगवान विष्णु, मंगलम् गरूड़ ध्वज/ मंगलम् पुण्डरीकाक्ष, मंगलाय तनो हरि' की मंगल ध्वनि के साथ 7 जन्मों के बंधन का मौसम शुरू हो जाता है और इसी के साथ नागिन डांस करने वालों का मौसम भी आ जाता है। इस नागिन डांस को किसी शैली में नहीं बांधा जा सकता। ये फ्रीस्टाइल का डांस होता है।
 
सड़क पर लौटकर दोनों हाथ सिर के ऊपर ले जाकर नागिन के फन जैसा बनाने वाली शैली इसकी चर्चित शैली है। बारात के चल समारोह का मुख्य आकर्षण ये डांस होता है। नागिन का ऐसा डांस जिसे यदि सचमुच में नागिन देख ले तो वह गश खाकर मूर्छित हो जाए, मगर इस डांस के बिना बारात का मजा अधूरा रहता है।
 
अगर डांस की बात की जाए तो इस डांस का प्रादुर्भाव कब, कहां और कैसे हुआ? इस बात पर शोध किया जा सकता है। शोध तो इस बात पर भी किया जा सकता है कि ये डांस कला है या विज्ञान? खोज तो इस बात पर भी की जा सकती है कि जिन लोगों में नागिन की आत्मा प्रवेश कर जाती है और ये इस डांस को करने लगते हैं तो क्या वे डांसर होते हैं? यदि नहीं तो फिर वे कैसे ये डांस कर लेते हैं? क्या डांस करने वाले को किसी 'पेय पदार्थ' (!) की जरूरत होती है और उसके सेवन के बाद ही वे इस सर्वाधिक जनप्रिय डांस को कुशलता से करने लगते हैं?
 
इस डांस के लिए जो लोग लालायित होते हैं, वे कोई प्रशिक्षित नहीं होते। न ही उन्हें कोई अनुभव होता है। पर एक की देखादेखी अनेक लोग इस नागिन डांस के दीवाने हो जाते हैं और बेचारा दूल्हा, जिसके मन में शादी की जल्दी होती है, इन नागिन डांस करने वालों पर मन ही मन कुढ़ता रहता है।
 
कारण जो भी हो, पर नागिन डांस का अपना मजा है। देश की रग-रग की जीवनशैली में रचे-बसे इस नागिन डांस पर मेरे 'मन डोले मेरा, तन डोले...' की धुन राष्ट्रीय और स्थायी है। बैंड वाले भिया तो अब इस धुन के आदी हो गए हैं।

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