बहुत दिनों से मैं परेशान था। छोटी-मोटी नौकरी करते और छुटपुट लिखते हुए बरसों बीत गए। देश में चारों ओर करियर की भरमार है। कोई इंजीनियरिंग पर दांव लगा रहा है तो कोई मेडिकल को गले लगा रहा है। कोई विदेश जाकर रिसर्च करने को सौभाग्य मानता है तो कोई आईआईएम कर लाखों का पैकेज पाना चाहता है पर मुझे यह सब ठीक नहीं लगता।
मैं चाहता हूं कि करियर ऐसा हो जिसमें मेहनत भी कम लगे और करोड़ों का फायदा भी हो। लाख चिंतन करने के बाद सामने आया कि देश में सर्वश्रेष्ठ करियर बाबा बनने में है। बाबागिरी से बेहतर कुछ भी नहीं है। वाकई भारतवर्ष बाबाओं का देश है। यहाँ के कण-कण में बाबा विद्यमान हैं। सुबह से लेकर शाम तक नाना प्रकार के चैनलों पर भाँति-भांति के बाबा अवतरित होते रहते हैं। रिमोट का कोई-सा भी बटन दबाओ, परिणाम में एक नए बाबा का सृजन होता है।
पर इसमें बाबा का भी कोई दोष नहीं है। बिचारे बाबा भी क्या करें। भारतीय व्यक्ति है ही बला का धार्मिक। वह सुबह बाबाओं के चरण चांप कर निकलता है और उनके आशीर्वादस्वरूप शाम को रिश्वत से भरी जेब लिए लौटता है। वह सुबह बाबा का आशीर्वाद लेकर सामानों में मिलावट करता है और उनके भलीभांति खपने पर प्रसाद चढ़ा बैठता है।
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एक आदमी का जीवन बाबा के बिना अधूरा है। उसका जन्म उन्हीं के आशीर्वाद से होता है, उसकी हारी-बीमारी वही ठीक करते हैं, दवाइयां व डॉक्टर तो एक बहाना है। वह बाबा के आशीर्वाद से कक्षाएं पास करता है। फिर शादी, नौकरी और प्रमोशन भी उन्हीं के आशीर्वाद से पाता है।
भारतीय व्यक्ति की इसी महान धार्मिकता के कारण बाबाओ का अनवरत रूप से विकास हो रहा है। पहले बेचारे कवि का इस मुहावरे पर कॉपीराइट बना हुआ था कि जहां न पहुंचे रवि वहां पहुंचे कवि। अब इसका पेटेंट बाबाओं ने ले लिया है। अब वे हर जगह दिखते हैं। वे कभी फिल्मी कलाकारों को योग कराते हैं तो कभी खिलाड़ियों को सफलता के टिप्स देते दिखाई देते हैं।
राजनेताओं के साथ तो उनका चोली-दामन का साथ है। राजनेता बाबाजी का चरण चांपते हैं और वे बदले में अनवरत सत्ता का आशीर्वाद पाते हैं। न जाने कितने अधिकारी और धन्नासेठ उनके दरवाजे पर लाइन लगाकर खड़े होते हैं।
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और अब बाबाओं को सत्ता की ओर बढ़ते देखकर मुझे लगता है कि वाकई बाबा बनना ही सर्वश्रेष्ठ है। एक व्यक्ति सफल बाबा बन जाए तो उसकी सात पीढ़ियों का उद्धार हो जाता है। सफल बाबा का सफल मैनेजमेंट उसे परम सत्ता की ऊंचाइयों की ओर ले जाता है। सो आजकल मैंने योग सीखने के लिए क्लास ज्वाइन कर ली है।
घरवालों को सामने बिठाकर उपदेश देता रहता हूँ। घरवालों को उम्मीद है कि सफल बाबा बनते ही मेरे दिन फिर जाएंगे। सो बस मेहनत कर रहा हूं। देखिए आगे क्या होता है।