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तेरे बिन लादेन...!

मृदुल कश्यप

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पिछले दिनों लादेन साहब चले गए। वे जाना तो नहीं चाहते थे पर अमेरिका की जिद के कारण उन्हें जाना पड़ा। उनके जाने के बाद पूरे विश्व में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं मिली। गडकरीजी ने अपनी प्रतिक्रिया दी तो दिग्विजयजी भी प्रतिक्रिया देने में पीछे नहीं रहे। जो भी हो पर हमें लादेन का शुक्रिया इस बात के लिए मानना चाहिए कि उनके अथक प्रयासों से विश्व का ध्यान आतंकवाद की तरफ आकर्षित हुआ। जो काम पिछले कई सालों से भारत के निर्दोष नागरिक और सुरक्षाकर्मी अपनी जान देकर नहीं कर पाए वही काम अकेले लादेन ने चुटकी बजाते ही कर डाला।

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लादेन ने पहले कई छोटी घटनाओं जैसे दूतावास पर विस्फोट आदि की परंतु जब इससे भी विश्व समुदाय की नींद न खुली तो मजबूरन 9/11 को अंजाम देना पड़ा। आखिर कोई पढ़ा-लिखा आदमी कब तक नजरअंदाज होना पसंद करेगा! इस घटना के पहले अमेरिका सहित सम्पूर्ण विश्व आतंकवाद को गंभीरता से नहीं लेता था, इस घटना के बाद सभी उठते-बैठते आतंकवाद की माला जपने लगे। इस प्रकार विश्व में आतंकवाद के महत्व के प्रति जागरुकता बढ़ाने का श्रेय श्रीमान्‌ लादेन के खाते में जाता है।

बुद्घिमान मनुष्य ने समय के अध्ययन के लिए उसे वर्गीकृत कर रखा है, जैसे ईसा पूर्व तथा ईसा पश्चात। वैसे ही आतंकवाद के अध्ययन में यही कहा जाएगा कि 'लादेन पूर्व' या 'लादेन बाद'। हर बड़ी शख्सियत के चले जाने के बाद यह यक्ष प्रश्न खड़ा हो जाता है कि उनके बाद क्या! अभी तो कोई भी छोटी-बड़ी घटना के संपन्न होने के पश्चात्‌ जांचकर्मी अध्ययन के लिए जब घटना पर जाते थे तब वे अपने साथ जेब में शक की सुई भी ले जाते थे।

उस सुई के आधार पर वे तत्काल घोषित कर देते थे कि घटना के पीछे लादेन का हाथ है। यह करके वे बरी-जुम्मा हो जाते थे। पर अब क्या होगा! क्योंकि वे हाथ ही नहीं रहे जो घटना के पीछे रहते थे। अब तो शक की सुई को भी नए ढंग से सेट करना पड़ेगा। उसमें कुछ नए आंकड़े, नए ब्यौरे डालने पड़ेंगे।

लादेन के बाद एक और परेशानी से रूबरू होना पड़ेगा। वह यह कि बड़ी आतंकी घटना की जिम्मेदारी कौन लेगा? अभी तक यह जिम्मेदारी भी श्रीमान्‌ लादेन के कंधों पर थी। जिम्मेदारी से बचने की मानवीय प्रकृति होती है। उनके जाने के बाद स्वाभाविक है कि एक शून्य पैदा हो गया है कि आखिर जिम्मेदारी कौन ले!

वैसे हमें पाकिस्तान और उनके द्वारा संचालित प्रशिक्षण शिविरों के रहते इस बारे में विशेष चिंता करने की जरूरत नहीं है। वह इस दिशा में सोचेगा और जल्द ही गंभीर कदम उठाएगा। ऐसी पूरी उम्मीद है कि वह इसमें खरा उतरेगा और ऐसा जिम्मेदार कंधा विश्व को मुहैया करवाएगा जिस पर जिम्मेदारी रखी जा सके।

लादेन के व्यक्तित्व की एक और विशेषता थी कि उसे कैसेट जारी करने का बड़ा शौक था। जैसे प्रसिद्घ गायकों के संगीत अलबम समय-समय पर निकलते रहते हैं, ठीक वैसे ही लादेन के कैसेट समय-समय पर निकलते रहते थे व काफी धूम मचाते थे। इन कैसेट का खासतौर से अमेरिका इंतजार करता रहता था।

कैसेट जारी होते ही अमेरिका इन कैसेटों के असली-नकली परीक्षण के लिए जी-जान से जुट जाता था। नए कैसेट की पुरानों से तुलना की जाती थी। उम्र व आवाज का अध्ययन किया जाता था, जिस पर भारी रकम खर्च होती थी। उन सभी टेस्टिंग लेब, तकनीशियनों को भी लादेन का असमय जाना अवश्य अखरेगा।

अमेरिका ने लादेन की खबर देने वालों को बड़ा इनाम देने की घोषणा कर रखी थी। अब अमेरिका की लादेन की खोज पूर्ण हो गई। लादेन जब तक पकड़ाया नहीं था, खोज करने वालों को इनाम की आशा थी। उनकी भी आस लादेन के चले जाने के बाद टूट गई है।

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