Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

फोर्थ डिग्री कविता का फॉर्मूला

व्यंग्य-रचना

हमें फॉलो करें फोर्थ डिग्री कविता का फॉर्मूला
शिवकांत पाण्डेय
ND
सारा पुलिस महकमा परेशान-हलकान था। अपराधी इतने शातिर और चट्टान की तरह मजबूत हो गए थे कि उन्हें कितना ही मारो-कूटो-पीटो, अपने जुर्म को उगलते ही नहीं थे। अपराधियों में अचानक आए इस परिवर्तन से कांस्टेबल से लगाकर होम मिनिस्टर तक आश्चर्यचकित थे। आखिर सभी अपराधियों का एकाएक शरीफ हो जाना किसी के गले नहीं उतर रहा था। पुलिस का चिर-परिचित फॉर्मूला, थर्ड डिग्री फॉर्मूला भी छोटे-छोटे अपराधियों के सामने ही ऐसे औंधे मुँह धराशायी हुआ कि जीरो डिग्री से भी बदतर साबित हुआ। सरकार को भी सूझ नहीं रहा था कि क्या करे, क्या न करे। कुल मिलाकर यह मुद्दा पूरे देश के लिए अहम मुद्दा बन गया था।

जब चिल्ल-पौं मची तो हमेशा की तरह मामले से पीछा छुड़ाने के लिए आयोग गठित कर दिया गया। दस साल बाद आई आयोग की रिपोर्ट में अपराधियों से राज उगलवाने के दस रामबाण अचूक फॉर्मूले सुझाए गए थे। आयोग की रिपोर्ट से नेता, अभिनेता, जनता सभी इसलिए भी निश्चिंत और संतुष्ट थे कि पूरे एक साल में जब एक फॉर्मूला खोजा गया है तो वह रामबाण के साथ ही श्रीकृष्ण के सुदर्शन चक्र की तरह भी होगा।

उत्साहित पुलिस ने दृढ़ इच्छाशक्ति और पूरे शारीरिक व आत्मबल से आयोग के फॉर्मूलों को अपराधियों पर प्रयोग किया। पूरी मुस्तैदी के साथ क्रियान्वित किए गए एक से दस तक के फॉर्मूलों का अपराधियों पर ऐसा असर हुआ जैसे वे टीवी पर राजू श्रीवास्तव का लॉफ्टर चैलेंज शो देख रहे हों। हताश होकर सरकार ने अपना माथा ही नहीं हाथ, पैर, आँख, कान, जुबान सभी पीट लिए।

webdunia
ND
एक कस्बे के थाने के टीआई सा. अपने ऑफिस में थके-हारे बैठे थे। दरअसल, उन्होंने एक शातिर और पुराने जिलाबदर अपराधी को बमुश्किल पकड़ा था और उसकी डेढ़ घंटे तक की गई धुनाई से लस्त-पस्त हो गए थे। टीआई साहब ने संतरी को कड़क मीठी चाय लाने का ऑर्डर मारा। इस देश के सौभाग्य से टीआई साहब कवि भी थे। संतरी ने जैसे ही गरमा-गरम चाय टेबल पर रखी, उन्होंने गटागट हलक में उड़ेल ली। मुँह में जर्दे का गुटका दबाते ही उनके शरीर से टीआई का पद तत्काल प्रभाव से टर्मिनेट हो गया और उन्होंने कवि के पद पर अपनी आमद दर्ज करा दी।

टीआई साहब सर्वोतोन्मुखी प्रतिभा के धनी कवि थे। सभी रसों की काव्य-सर्जना में उनका समान रूप से अधिकार था। कवि के पद पर ज्वाइनिंग रिपोर्ट देने के बाद उन्होंने आठ-दस कविताएँ लिख डालीं। टीआई साहब कविता लिखने के बाद ऐसे खुश, जैसे उन्हें एसपी बना दिया गया हो। थोकबंद कविताएँ लिखने के बाद आम कवियों की तरह उनके मन में उन्हें किसी को सुनाने की लहरें उठने लगीं। थाने के पूरे स्टाफ को तो वो अपनी कविताओं से बरसों से बोर कर रहे थे। टीआई ने सोचा, इन ताजी रचनाओं को किसी श्रोता को तुरंत सुनाना जरूरी है नहीं तो ये बासी हो जाएँगी।

webdunia
Kaptan
ND
काफी देर के चिंतन-मनन के बाद सुयोग्य श्रोता की तलाश में उनका मन थाने में बंद उस अपराधी की ओर जा अटका, जिसकी उन्होंने धुनाई की थी। साला! मेरी कविता सुनेगा तो झक मारकर दाद भी देगा और ताली भी बजाएगा। टीआई साहब ने लॉकअप का ताला खुलवाया और रचनाओं सहित अंदर जा धमके। सहमा अपराधी खड़ा हो गया। टीआई साहब बोले! बंधु! कुछ ताजा कविताएँ पेश हैं।

मगर यह क्या, अपराधी जैसे-तैसे तीन कविताएँ झेलने के बाद ही लाइन पर आ गया और बोला बस! बस!! टीआई साहब मुझे चौथी कविता मत सुनाइए। मैं आपको सब कुछ सच-सच बताता हूँ। बेचारे अपराधी ने फटाफट जुर्म का इकबाल कर लिया। फिर क्या था... टीआई साहब की फोर्थ डिग्री कविता का फॉर्मूला उन सभी थानों में लागू कर दिया गया, जहाँ पदस्थ टीआई होने के साथ ही कवि भी थे। अब सरकार नए थानेदार की भर्ती हेतु अनिवार्य योग्यता में कवि होना जरूरी कर रही है। कविता अपराधियों पर भी असर करती है, ये लोगों ने पहली बार जाना।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi