आम आदमी था, तो क्या हुआ, वह भी कुलबुला रहा था यह जानने के लिए कि वह पिछले जनम में क्या था। लिहाजा वह भी तिक़ड़म भिड़ाकर ठिए तक पहुँच गया। आयोजकों ने भी सोचा, चलो इस बार एक आम आदमी ही सही। कहने को भी हो जाएगा कि यह कार्यक्रम सिर्फ खास आदमियों के लिए ही नहीं है।
'बिस्तर पर लेटो, मैडम ने कहा।
'इसी पर?' आम आदमी ने गद्देदार बिस्तर को देखते हुए पूछा।
'हाँ, इसी पर', मैडम ने कहा। आम आदमी झिझकते हुए बिस्तर पर लेट गया।
'आँखें बंद कर लो और सोचो कि तुम गहरी नींद में जा रहे हो', मैडम बोली।
'गहरी नींद तो मुझे घर के गोदड़े पर ही आती है', आम आदमी ने कहा, 'यहाँ तो मुझे अटपटा लग रहा है।'
'कोशिश करो', मैडम ने कहा, ' ठीक है, अब तुम्हारी आँखें बंद हो रही हैं। तुम गहरी नींद में हो। अब तुम पीछे जा रहे हो, बहुत पीछे। अब तुम बताओ कि तुम कौन हो?'
'आम आदमी', आम आदमी ने जवाब दिया।
'ठीक से पहचानो', मैडम ने कहा।
'पक्की बात, मैं आम आदमी ही हूँ', वह बोला।
'तुम्हारा घर कैसा है?'
'साधारण-सा है। एक कमरा/ रसोईघर, मोरी और देसी टॉयलेट। छत की जगह पतरे ठुके हैं', आम आदमी ने बताया।
'तुम्हारे घर में कौन-कौन हैं? मैडम ने पूछा
"मेरी घरवाली, दो लड़कियाँ और दो लड़के। मेरे बूढ़े माता-पिता' , आम आदमी ने जवाब दिया।
'तुम्हारे घर में कौन क्या-क्या करता है?'
'मैं और मेरी घरवाली मजूरी करते थे। मेरा बाप बहुत बूढ़ा था, वह कुछ नहीं करता था। मेरी माँ कभी बीड़ी बनाती, कभी अगरबत्ती। मेरी लड़कियाँ घरों में कप़ड़ा-बर्तन का काम करतीं। मेरे लड़के होटल में काम करते थे', आम आदमी ने जवाब दिया।
'तुम्हारे बच्चे स्कूल नहीं जाते थे?'
'नहीं?'
'क्यों?'
'क्योंकि फीस के पैसे, ड्रेस के पैसे और किताबों के पैसे नहीं थे', वह बोला।
'लड़कियों की शादी के बारे में क्या सोचते थे?'
'वही तो सबसे बड़ी चिंता थी', आम आदमी बोला।
'और लड़कों के बारे में?'
'उनके बारे में भी सोचता था कि इनका क्या होगा और कैसे होगा?'
'तुमने आ़ड़े वक्त के लिए कभी चार पैसे जमा किए थे या नहीं?'
'कैसे करता? थो़ड़ी-सी आमदनी थी', आम आदमी झल्लाया, 'घर के खर्चे ही नहीं संभलते थे।'
'तुम्हारी पत्नी की क्या इच्छा थी और वह तुमने पूरी की या नहीं?'
'उसकी इच्छा थी कि हम दोनों भी एकदम नए कपड़े पहनकर घूमने निकलें। किसी दिन बच्चों के साथ घूमें-फिरें, खाएँ-पिएँ। मगर ऐसा कभी नहीं हो सका।'
'माता-पिता की कोई इच्छा पूरी की?'
'माता-पिता गंगा स्नान करना चाहते थे', आम आदमी ने कहा, 'कभी इतने पैसे ही नहीं जुटे कि उन्हें गंगा स्नान करा देता।'
'घर बनवाया था?'
'कहाँ से बनवाता', आम आदमी बोला, 'रोटी- कप़ड़ा ही मुश्किल से हो पाता था।'
'तुम बता सकते हो कि तुम इस जनम में फिर आम आदमी ही क्यों बने?'
'हाँ' आम आदमी ने कहा, 'मेरे मरने के बाद जब यमराज ने चित्रगुप्त से पूछा कि इस प्राणी ने कभी-मंदिर बनवाया, दरिद्रनारायणों को भोजन करवाया, कथा-भागवत करवाई?' तो चित्रगुप्त ने कहा, ' नहीं, महाराज, इसने ऐसा कुछ नहीं किया। तो यमराज ने कहा, 'जाओ, इसे फिर आम आदमी का जनम दे दो।'
'तब तुमने कुछ कहा?'
'हाँ, मैंने कहा कि महाराज आम आदमी अपना पेट भरेगा कि ये सब करेगा। ये सब करवाना हो तो हमें भी खास आदमी बना दो।'
'फिर तुम्हारी सुनवाई हुई?'
'आम आदमी की कहीं भी सुनवाई नहीं होती है। न यहाँ, न वहाँ। मेरी एक नहीं सुनी और मुझे फिर आम आदमी बना दिया गया', आम आदमी ने कहा।