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लोहड़ी उत्सव कब है, क्यों मनाया जाता है?

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, शनिवार, 17 दिसंबर 2022 (16:28 IST)
Lohri 2023 : अगले वर्ष 2023 में लोहड़ी का उत्सव कब मनाया जाएगा। लोहड़ी का पर्व क्यों मनाया जाता है। किस राज्य और किस समाज का यह प्रमुख पर्व माना जाता है। क्या अर्थ होता है लोहड़ी का? आओ जानते हैं कि आखिर क्या है लोहड़ी महोत्सव या त्योहार पर्व की खासियत और किसकी करते हैं इस दिन पूजा।
 
वर्ष 2023 में कब है लोहड़ी : इस वर्ष लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी 2023 शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा।
 
क्यों मनाते हैं लोहड़ी : इस दिन सूर्य देव व अग्नि देव के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है कि उनकी कृपा से इस बार की फसल अच्छी रही और अगली फसल में कोई समस्या न हो इसीलिए उनकी पूजा की जाती है। साथ ही यह त्योहार परिवार में आने वाले नए मेहमान जैसे नई बहू या बच्चा के स्वागत के लिए मनाया जाता है।
 
लोहड़ी और अन्य पर्व में समानत: उत्तर भारत में मकर संक्रांति, दक्षिण भारत में पोंगल, पश्चिम भारत में लोहड़ी तो पूर्वोत्तर भारत में बिहू का पर्व मनाया जाता है। पर्व एक लेकिन नाम अनेक हैं। इस दिन से मौसम में परिवर्तन होता है। सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है। लोहड़ी किसानों का त्योहार है। लोहड़ी पर्व में माता सती के साथ ही अग्नि पूजा का महत्व है। इस दिन लोई माता की कथा सुनने की परंपरा है।
 
किस राज्य और समाज का यह खास पर्व है : यह पर्व खासकर पंजाब और हरिणाणा के पंजाबी समाज का पर्व है। लोहड़ी में गजक, रेवड़ी, मुंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्का की रोटी और सरसों का साग बनाया जाता है। लोहड़ी पर रात में अग्नि जलाकर उसमें तिल, गुड़, रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्की के दानों की आहुति देने की परंपरा है। इस दौरान रेवड़ी, खील, गज्जक, मक्का खाने का आनंद भी लेते हैं। 
 
क्या अर्थ है लोहड़ी का : मकर संक्रांति से पहले वाली रात को सूर्यास्त के बाद मनाया जाने वाला पंजाब प्रांत का पर्व है लोहड़ी, जिसका का अर्थ है- ल (लकड़ी)+ ओह (गोहा यानी सूखे उपले)+ ड़ी (रेवड़ी)। इस पर्व के 20-25 दिन पहले ही बच्चे 'लोहड़ी' के लोकगीत गा-गाकर लकड़ी और उपले इकट्ठे करते हैं। फिर इकट्‍ठी की गई सामग्री को चौराहे/मुहल्ले के किसी खुले स्थान पर आग जलाते हैं। आग के आसपास नाच गाना करके खुशी मनाते हैं।

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