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रोजगार के मुद्दे पर घिरी भाजपा, घोषणा पत्र पर उठे सवाल

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, मंगलवार, 9 अप्रैल 2019 (13:18 IST)
-वेबदुनिया चुनाव डेस्क
नई दिल्ली। भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2019 के लिए घोषणा पत्र तो जारी कर दिया है, लेकिन रोजगार के मुद्दे पर पार्टी बुरी तरह घिर गई है। असल में पार्टी ने उच्च शिक्षण संस्थाओं में सीटें बढ़ाने की बात तो कही है पर इन शिक्षित युवाओं को रोजगार कैसे मुहैया कराया जाएगा, इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं कहा। युवाओं ने इस मुद्दे पर भाजपा के 'संकल्प पत्र' की तीखी आलोचना की है। साथ ही कांग्रेस के घोषणा पत्र से इसकी तुलना शुरू कर दी है। 
दरअसल, भाजपा के संकल्प पत्र पर केन्द्रित वेबदुनिया के एक वीडियो को 13 लाख से ज्यादा लोगों ने देखा और 1300 से ज्यादा ने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएं भी जाहिर कीं। इसके मुताबिक सबसे ज्यादा लोगों का गुस्सा रोजगार के मुद्दे पर ही था। साथ ही लोगों ने न सिर्फ भाजपा बल्कि अन्य पार्टियों के घोषणा पत्र के औचित्य पर ही सवाल उठा दिए। 
 
लोगों का मानना है कि उच्च शिक्षण संस्थाओं में सीटें बढ़ाने से बेरोजगारी और बढ़ेगी। कौस्तुभ हजारे का कहना है कि इंजीनियरिंग की  सीटें बढ़ाने से बेरोजगारी और बढ़ेगी। हमारे यहां पर्याप्त इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, लेकिन ग्रेजुएट युवाओं की तुलना में रोजगार के अवसरों की संख्या बहुत कम है। हमें स्किल इंडिया को प्रमोट करना चाहिए। गुंजन देवगन नामक व्यक्ति ने कहा कि सीटें बढ़ाने से क्या होगा पिछले लोग ही अभी बेरोजगार हैं। 
 
रूपेश कुमार नामक यूजर ने लिखा कि सबसे बड़ा मुद्द्दा तो हमारे देश में बेरोजगारी है, इसके बारे में कोई कुछ नहीं बोलता। हमारे देश में 63 प्रतिशत युवा हैं। युवाओं के बारे में कोई पार्टी कुछ नहीं बोलती। फिर चाहे वह भाजपा हो या कांग्रेस। नेताओं का एक ही काम है, चुनाव के समय हिन्दू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद, जाति-धर्म के नाम पर लड़ाओ, वोट लो और शासन करो। एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि राम मंदिर बन गया तो क्या भारत की ग्रोथ रेट बढ़ जाएगी। जयप्रकाश ने कहा कि भारत विशाल युवा बेरोजगार देश बन जाएगा।
 
जिस तरह युवा वर्ग की प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं, उससे यह तो लग रहा है कि बेरोजगारी के मुद्दे पर भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। युवा वोटर भाजपा से दूर हो सकते हैं क्योंकि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में 2020 तक 22 लाख रिक्त सरकारी पदों को भरने का वादा किया है। साथ ही गरीब परिवारों को 72 हजार रुपए सालाना देने की भी घोषणा की है। यदि कांग्रेस का यह दांव सफल रहा तो युवा वोटर उसका 'हाथ' थाम सकता है। 
रामनिवास मौर्य नामक व्यक्ति ने कटाक्ष किया कि बेरोजगारी बढ़ेगी, विद्यार्थी खुदकुशी करेंगे, भारत बेरोजगार देश बनेगा, यही भाजपा का संकल्प है। रामप्रसाद कांबले ने लिखा कि भाजपा और कांग्रेस दोनों अपने घोषणा पत्र चुनाव आयोग के पास जमा करें तथा यह लिखकर दें कि इनमें से एक भी वादा पूरा नहीं हुआ तो चुनाव आयोग उस पार्टी को अगली बार चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दे। 
 
एसएम युरेका ने लिखा कि देश की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। बाकी लगभग सभी समस्याएं बेरोजगारी के साथ खत्म हो जाएंगी। हरिहर वैश्य ने लिखा कि घोषणा पत्र तो ठीक है पर जॉब कब मिलेगी? एक व्यक्ति ने तो अपनी निराशा कुछ इस तरह प्रकट की - हमारा दुर्भाग्य यह है कि भारत में एक भी ऐसा पक्ष नहीं है जनता के हित में काम करे। दुनिया को लगता है की भारत सबसे अच्छा लोकतांत्रिक देश है मगर लोकतंत्र के नाम पर नेता लोगों की भावनाओं से खेलते हैं।
 
राष्ट्रवाद का मुद्दा हो या किसानों को ब्याजमुक्त कर्ज देने का या फिर उच्च शिक्षण संस्थाओं में सीटें बढ़ाने का, भाजपा के इन चुनावी दावों और वादों का मतदाता पर क्या असर होगा यह तो 23 मई को मतगणना वाले दिन ही पता चलेगा, लेकिन फिलहाल एक बात तो तय है कि पार्टी रोजगार के मुद्दे पर बैकफुट पर आ गई है। 
 

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