उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने नई रणनीति तैयार की है। प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया को यूपी का प्रभार दिए जाने के बाद कांग्रेस में दूसरी पार्टी ने नेताओं के आना शुरू हो गया है। पार्टी में अचानक दूसरे नेताओं का शामिल होना प्रियंका-सिंधिया की नई जोड़ी का कमाल माना जा रहा है।
हाल ही में सूबे के एक वर्तमान सांसद समेत कई पूर्व सांसद कांग्रेस में शामिल हुए हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट पर बहराइच से सांसद चुनी गईं सावित्री बाई फुले ने पिछले दिनों कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। दिल्ली में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य के सामने कांग्रेस की सदस्यता ली। वहीं फतेहपुर से सपा के पूर्व सांसद राकेश सचान और सीतापुर से बीएसपी पूर्व सांसद कैसर जहां भी कांग्रेस में शामिल हो गईं।
राकेश सचान और कैसर जहां ने इस बार अपनी पार्टियों में टिकट की दावेदारी की थी। कैसर के पति जसमीर सीतापुर की लहरपुर सीट से विधायक भी रह चुके हैं। सूत्र बताते हैं कि लोकसभा टिकट मिलने की शर्त पर ही इन नेताओं ने कांग्रेस का 'हाथ' थामने का फैसला किया है।
बात करें बहराइच की सांसद सावित्री बाई फुले की तो पिछले दिनों उन्होंने बीजेपी में अपनी उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पार्टी से किनारा कर लिया था। भाजपा छोड़ते वक्त सावित्री फुले ने प्रधानमंत्री मोदी को उनकी नीतियों के चलते कठघरे में खड़ा किया था। सावित्री के बीएसपी में शामिल होने की भी अटकलें लंबे समय से चल रही थीं, लेकिन प्रियंका की यूपी में एंट्री के बाद बदले समीकरण में सावित्री बाई ने कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया।
सीतापुर से कांग्रेस में शामिल होने वाली कैसर जहां 2009 में बसपा के टिकट पर सांसद चुनी गई थीं और 2014 में मोदी लहर के चलते चुनाव हार गई थीं। सीतापुर और बहराइच भौगोलिक और जातिगत राजनीति के चलते एक दूसरे से जुड़े हैं। इसलिए इन दोनों नेताओं का कांग्रेस में शामिल होना इस क्षेत्र में कांग्रेस के लिए काफी अनुकूल माना जा रहा है।
राकेश सचान फतेहपुर से इस बार समाजवादी पार्टी से टिकट के दावेदार थे, लेकिन सपा-बसपा समझौते के चलते फतेहपुर सीट बीएसपी के खाते में चली गई। इसके बाद सचान ने कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया। सचान को फतेहपुर से कांग्रेस के टिकट मिलना तय है।
कांग्रेस ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी में बड़ी सेंध लगाते हुए दिग्गज बीजेपी नेता अवतारसिंह भड़ाना को पार्टी में शामिल करा लिया है। अवतार का कांग्रेस में शामिल होना पश्चिम उत्तर प्रदेश के प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया की बड़ी रणनीतिक जीत बताया जा रहा है। भड़ाना फतेहपुर से सांसद रह चुके हैं, लेकिन 2014 का लोकसभा चुनाव अवतार ने कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था, लेकिन मोदी लहर के चलते उनको हार का सामना करना पड़ा था। वहीं यूपी विधानसभा चुनाव से पहले अवतार सिंह कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए थे और विधायक चुने गए थे।
कांग्रेस की इस नई रणनीति पर उत्तर प्रदेश की सियासत को करीब से देखने वाले गोरखपुर के वरिष्ठ पत्रकार मनोजसिंह कहते हैं कि चुनाव से पहले सपा बसपा छोड़कर कांग्रेस में नेताओं का शामिल होने की होड़ प्रदेश में सपा और बसपा के गठबंधन का नतीजा है। ऐसे बहुत से नेता थे जो 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद टिकट की आस में अपने क्षेत्र में मेहनत कर रहे थे, लेकिन सपा और बसपा में टिकट फॉमूले के आधार पर पार्टी को सीट न मिलने पर अब चुनाव लड़ने के लिए दूसरी पार्टी का रुख कर रहे हैं।
मनोजसिंह कहते हैं कि कांग्रेस हमेशा से ऐसे नेताओं को अपने से जोड़ने के पक्ष में रही है, जिसकी अपने क्षेत्र में सामजिक और राजनीतिक पकड़ होती है और कांग्रेस इस बार भी इस मौके को भुनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है और कांग्रेस से टिकट मिलने के आश्वासन के बाद नेता पार्टी में शामिल हो रहे हैं।