लोकसभा चुनाव से पहले और उसके ठीक बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था कि भाजपा 300 से ज्यादा सीटें हासिल करेगी और उनकी बात सच भी साबित हुई। भाजपा ने 300 का आंकड़ा पार कर 303 सीटें जीतीं। इसे मोदी-शाह की जुगलबंदी कहें या शाह का कूटनीति चातुर्य, जिसकी बदौलत एक बार फिर भाजपा नीत एनडीए की सत्ता में वापसी हुई है। आखिर वे कौन से गुण हैं, जो अमित शाह को दूसरे नेताओं से अलग करते हैं-
आज का अर्जुन : अमित शाह की हमेशा महाभारत के अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य पर निगाह जमी होती है। असफलता से वे निराश नहीं होते और सफलता मिलने तक अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए पूरे मनोयोग से जुटे रहते हैं।
करिश्माई कूटनीतिज्ञ : चाणक्य को आदर्श मानने वाले अमित शाह राजनीतिक जीवन में कुशल कूटनीति का परिचय देते हैं। मौके पर चौका मारना उनके व्यक्तित्व की विशेषता है। वे अवसर के अनुकूल निर्णय लेते हैं। लोकसभा चुनाव में यही देखने को मिला, जब विकास का मुद्दा देखते ही देखते राष्ट्रवाद के रूप में तब्दील हो गया।
बिसात पर कुशल 'शातिर' : शतरंज के शौकीन अमित शाह राजनीति की बिसात पर अपनी चालें पूरी कुशलता के साथ चलते हैं। किस नेता को कहां काम में लेना, यह वे बखूबी जानते हैं और उससे उसका सर्वश्रेष्ठ निकाल ही लेते हैं, चाहे वे योगी आदित्यनाथ हों या फिर कैलाश विजयवर्गीय या कोई और।
संगठन पर मजबूत पकड़ : भाजपा संगठन पर उनकी पकड़ कितनी मजबूत है, यह देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। संगठन में चारों तरफ सिर्फ अमित शाह का ही जलवा दिखाई देता है, बाकी नेता शाह के निर्णयों पर अमल करने का ही काम करते हैं।
सफलता की भूख : पश्चिम बंगाल में भाजपा को मिलीं लोकसभा की सीटें सहज ही बताती हैं कि अमित शाह में सफलता की भूख कितनी है। लोकसभा चुनाव के काफी पहले ही उन्होंने बंगाल में काम शुरू कर दिया था। बंगाल की धरती पर जहां उन्होंने 'जय श्रीराम' के नारे का उद्घोष किया, वहीं सत्तारूढ़ तृणमूल के हिंसक कार्यकर्ताओं से भी जमकर लोहा लिया।