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खंडवा में खम ठोंक रहे शेरा भैया बढ़ा सकते हैं कांग्रेस की मुश्किल

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रिज़वान अंसारी

वर्तमान में खंडवा-बुरहानपुर लोकसभा सीट से भाजपा ने जहां वर्तमान सांसद और पूर्व भाजपा अध्यक्ष नंदकुमारसिंह चौहान को एक बार फिर अपना प्रत्याशी घोषित किया है वहीं कांग्रेस से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद अरुण यादव का नाम कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर फिर एक बार चर्चाओं में है।
 
हालांकि कांग्रेस ने अभी इस लोकसभा क्षेत्र से अपना प्रत्याशी औपचारिक रूप से घोषित नहीं किया है। अरुण यादव को प्रत्याशी घोषित करने के पूर्व ही उन्हें 'बाहरी प्रत्याशी' बताकर स्थानीय प्रत्याशी को टिकट देने की मांग जोर पकड़ने लगी है जिसका नेतृत्व यहां से कांग्रेस से बागी होकर विधानसभा चुनाव लड़े और कांग्रेस की जमानत जब्त करवाने वाले निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेन्द्र सिंह कर रहे हैं।
 
गत 25 मार्च को हुए सम्मेलन में बुरहानपुर में निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में खंडवा लोकसभा क्षेत्र के कई कांग्रेसी दिग्गज मौजूद थे जिनमें मांधाता से पूर्व कांग्रेस विधायक राजनारायण सिंह, नेपानगर से पूर्व कांग्रेस विधायक रघुनाथ चौधरी एवं निमाड़ में ज्योतिरादित्य सिंधिया के सिपहसालार माने जाने वाले परमजीतसिंह नारंग सहित करीब 1 हजार कांग्रेस कार्यकर्ता मौजूद थे।
 
इस सम्मेलन के माध्यम से कांग्रेस के इस असंतुष्ट गुट ने अरुण यादव को चुनौती पेश करते हुए घोषणा की कि यदि इतने विरोध के बावजूद पार्टी अरुण यादव को अपना प्रत्याशी घोषित करती है तो निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेन्द्र सिंह अपनी पत्नी जयश्री ठाकुर को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतारेंगे जिसके चलते इस लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस को नुकसान होना तय माना जा रहा है।
 
गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से बागी होकर बुरहानपुर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़कर विधायक बने ठाकुर सुरेन्द्र सिंह उर्फ शेरा ने भाजपा की हाईप्रोफाइल मंत्री अर्चना चिटनीस को करीब 5,000 वोटों से हराया था और सुरेन्द्र सिंह को करीब 1 लाख वोट मिले थे।
 
खंडवा-बुरहानपुर लोकसभा की राजनीति में भाजपा के बड़े नेता नंदकुमारसिंह चौहान और कांग्रेस की राजनीति में ठाकुर सुरेन्द्र सिंह का परिवार प्रमुख भूमिका में माने जाते हैं और ये दोनों ही नेता लोकसभा और विधानसभा चुनाव में घोषित-अघोषित रूप से एक-दूसरे की मदद भी करते हैं।
 
बुरहानपुर से निर्दलीय विधायक ठाकुर सुरेन्द्र सिंह की पत्नी जयश्री ठाकुर पूर्व में बुरहानपुर जिला पंचायत परिषद में सदस्य भी रही हैं। यदि ठाकुर सुरेन्द्र सिंह अपनी पत्नी को निर्दलीय के तौर पर मैदान में उतारते हैं तो खंडवा-बुरहानपुर लोकसभा क्षेत्र में अल्पसंख्यक मतदाताओं में अपनी लोकप्रियता के चलते अच्छे-खासे अल्पसंख्यक मतदाताओं के वोट हासिल कर सकती हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में करीब 2.50 लाख अल्पसंख्यक मतदाता हैं।
 
जयश्री ठाकुर यदि चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरती हैं तो वे अल्पसंख्यक, राजपूत और समाज के अन्य कमजोर तबकों से कुल मिलाकर करीब 1 लाख वोट लेने की क्षमता रखती हैं जिसका सीधा नुकसान कांग्रेस का ही होता नजर आ रहा है।


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वैसे देखा जाए तो भाजपा प्रत्याशी नंदकुमारसिंह चौहान जहां 7वीं बार भाजपा प्रत्याशी के तौर पर मैदान में हैं वहीं पूरे क्षेत्र में जमीनी तौर पर उनकी स्थिति ज्यादा मजबूत नजर आती है, क्योंकि वे हमेशा कार्यकर्ताओं के सीधे संपर्क में रहते हैं। सांसद निधि एवं केंद्र एवं राज्य सरकारों से उन्होंने कई कार्य भी अपने क्षेत्र में करवाए हैं। जबकि दूसरी ओर कांग्रेस के संभावित प्रत्याशी अरुण यादव का जहां अपने कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क नहीं है वहीं वे पिछले लंबे समय से अपने क्षेत्र से भी दूर रहे हैं जिससे इस चुनाव में उनके लिए चुनौतियां काफी जटिल होंगी।
 
कांग्रेस की राजनीति में ठाकुर सुरेन्द्र सिंह ज्योतिरादित्य सिंधिया और मुख्यमंत्री कमलनाथ के करीबी माने जाते हैं। सिंह, सिंधिया से दिल्ली में उनके निवास स्थान और भोपाल में मुख्यमंत्री कमलनाथ से उनके निवास स्थान पर मुलाकात करते हैं।
 
चूंकि ठाकुर सुरेन्द्र सिंह निर्दलीय विधायक के तौर पर चुनाव जीते हैं तो इस बात की पूरी संभावना जताई जा रही है कि वे इस लोकसभा चुनाव में निर्दलीय के रूप में अपनी पत्नी जयश्री ठाकुर को मैदान में उतारेंगे, हालांकि जयश्री ठाकुर ने भी कांग्रेस प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर अपनी दावेदारी जताई है।
 
लेकिन अपना टिकट कटने और अरुण यादव को प्रत्याशी बनाए जाने की स्थिति में जयश्री ठाकुर के निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरने को लेकर पूरी संभावना जताई जा रही है और यदि यहां पर मुकाबला त्रिकोणीय होता है तो ऐसी स्थिति में कांग्रेस को भारी नुकसान होगा और इससे इस लोकसभा क्षेत्र में भाजपा को अपनी विजयश्री का झंडा फहराना आसान होगा।
 
-रिज़वान अंसारी (बुरहानपुर, मप्र)
 
(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण वेबदुनिया के नहीं हैं और वेबदुनिया इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है)

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