सोलन। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि नोटबंदी का एकतरफा फैसला लेने से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों को अपने घर में ‘कैद‘ कर दिया था।
यहां शिमला सीट से पार्टी प्रत्याशी डीआर शांडिल के समर्थन में एक रैली को संबोधित करते हुए गांधी ने नोटबंदी को नरेंद्र मोदी सरकार की कुछ व्यावसायिक घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए की गई ‘भयंकर भूल‘ करार दिया और आरोप लगाया कि मोदी ने अपने मंत्रियों को 7 रेसकोर्स रोड घर में बंद कर दिया था।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि चूंकि फैसला भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य मंत्रियों को विश्वास में लिए बिना किया गया था, इसने देश की अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया और देश भर में कई छोटे व्यावसाय बंद हो गए।
गांधी ने कहा कि उनकी सुरक्षा में तैनात स्पेशल प्रोटेक्शन फोर्स वालों ने भी उन्हें बताया था कि मोदी ने मंत्रियों को नोटबंदी के समय घर में बंद कर दिया था। उन्होंने कहा कि आश्चर्य की बात है कि मोदी ने कभी महसूस नहीं किया कि नोटबंदी ने कृषि क्षेत्र, छोटे और मध्यम व्यवसायियों को तबाह कर दिया और देश में बेरोजगारी की स्थिति को और विकराल कर दिया।
गांधी ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को गब्बर सिंह टैक्स करार देते हुए कहा कि इतने जनविरोधी फैसलों के बावजूद मोदी सपनों में जी रहे हैं। किसानों के कर्ज माफ करने के बजाय उन्होंने 15 व्यवसायियों के साढ़े पांच लाख करोड़ रुपए के कर्ज माफ किए और राफेल विमान सौदे में 35 हजार करोड़ रुपए का लाभ अंबानी को पहुंचाया।
उन्होंने आरोप लगाया कि इसके अलावा नीरव मोदी, विजय माल्या और मेहुल चौकसी को भगाने में मदद की, जिन्होंने देश छोड़ने से पहले वित्तमंत्री अरुण जेटली की बेटी को ‘रिश्वत‘ दी।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन शासन में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गांधी ने मोदी को किसी भी खुले मंच पर बहस की चुनौती दी। बालाकोट एयर स्ट्राइक के संबंध में मोदी के बयान का जिक्र करते हुए गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने वायुसेना अधिकारियों से कहा था कि बादलों के कारण भारतीय लड़ाकू विमान पाकिस्तान के रडार से बच जाएंगे, जो हास्यास्पद था।
कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो वह वायदे के अनुसार न्यूनतम आय योजना (न्याय) और अन्य योजनाएं लागू करेंगे। गांधी ने आरोप लगाया कि सेबों पर आयात शुल्क बढ़ाने के वायदे के बावजूद मोदी ने हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों के लिए कुछ नहीं किया और न ही फलों आदि कि लिए प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित कीं।