Meerut-Hapur Lok Sabha candidate : मेरठ में सियासी पारा चढ़ा हुआ है, समाजवादी पार्टी में मेरठ-हापुड़ लोकसभा प्रत्याशी को लेकर हो रही खींचतान का अंत हो गया है। इस सीट पर सपा ने पहले दलित भानु प्रताप को टिकट दिया था, लेकिन भानु प्रताप को बाहरी प्रत्याशी बताकर विरोध होने चलते पार्टी नेतृत्व ने स्थानीय प्रत्याशी का मंथन शुरू कर दिया। मेरठ से सपा सरधना विधायक अतुल प्रधान, मेरठ शहर विधायक रफीक अंसारी, योगेश वर्मा और उनकी पत्नी सुनीता वर्मा ने टिकट के लिए अपनी दमदार दावेदारी ठोंकी।
अखिलेश यादव का दाहिना हाथ माने जाने वाले अतुल प्रधान को दो दिन पहले भानु प्रताप का टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया गया। अतुल लखनऊ से पार्टी का सिंबल मेरठ पहुंचे और गत बुधवार उन्होंने अपना नामांकन दाखिल कर दिया।
नामांकन करने के कुछ घंटे बाद ही योगेश वर्मा ने अपनी और पत्नी सुनीता वर्मा की मजबूत दावेदारी पेश की। उनके मुताबिक मेरठ से भानु प्रताप को प्रत्याशी बनाया गया था, वे दलित थे, दलित का टिकट काटकर दलित को मिलना चाहिए। पार्टी में खेमेबाजी को देखकर अखिलेश ने मेरठ-हापुड़ सीट पर पुनः मंथन किया और अंत में दलित प्रत्याशी सुनीता वर्मा के नाम पर मोहर लगा दी।
कौन है सुनीता वर्मा : सुनीता वर्मा दलित बिरादरी से आती हैं और पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पत्नी हैं। सुनीता मेरठ नगर निगम की मेयर भी रह चुकी हैं। सुनीता के पति बहुजन समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में हस्तिनापुर से विधायक बने थे। डेढ़ दशक पहले सुनीता वर्मा चूल्हे-चौके से बाहर निकलकर राजनीति में कदम रखा और जिला पंचायत सदस्य बनीं। 2017 में यूपी में बीजेपी की सरकार थी, उस समय नगर निगम मेयर पद का चुनाव सुनीता वर्मा ने बहुजन समाजवादी पार्टी से लड़ा और जीता, वे नगर निगम के इतिहास में पहली दलित महिला मेयर बनीं। वर्तमान में वे समाजवादी से मेरठ-हापुड़ लोकसभा प्रत्याशी हैं।
समाजवादी पार्टी ने हेलीकॉप्टर से भेजा सिंबल : अतुल प्रधान का टिकट सिर्फ 24 घंटे के अंदर आलाकमान ने काटकर दलित सुनीता वर्मा को दिया है। मेरठ में दूसरे चरण में 26 अप्रैल को चुनाव होने हैं। आज नामंकन का अंतिम दिन था। बुधवार शाम से ही सुनीता वर्मा को टिकट मिलने की चर्चा गरमाने लगी।
गुरुवार की सुबह आलाकमान ने जातिगत समीकरणों के आधार पर सुनीता के नाम की घोषणा करते हुए सिंबल जारी कर दिया। लेकिन लखनऊ से मेरठ की दूरी 535 किलोमीटर थी, ऐसे में तीन बजे से पहले नामांकन के लिए सड़क के रास्ते सिंबल पहुंचना नामुमकिन था, ऐसे में पार्टी ने हेलीकॉप्टर से सिंबल मेरठ तक पहुंचाया। सुनीता के पति योगेश वर्मा का कहना है कि एक दलित के लिए अखिलेशजी ने प्रत्याशी सिंबल भेजने की व्यवस्था हेलीकॉप्टर से की है, जो अपने आप में बड़ी बात है।
अतुल को पार्टी आलाकमान ने समझाया : अतुल प्रधान ने बुधवार को ही अपना नामांकन किया था, शाम होते ही उन्हें पता चला कि टिकट पर फिर से मंथन हो रहा है, उनका टिकट कटने वाला है। इसके चलते रात में ही वे लखनऊ पहुंच गए। जब सुबह सुनीता वर्मा के नाम की घोषणा हुई तो वे खिन्न नजर आए। सूत्रों के मुताबिक अपना टिकट कटने पर अतुल ने नाराजगी जाहिर की। लेकिन पार्टी में अखिलेश यादव से बात करने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, 'जो राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादवजी का निर्णय है, वह स्वीकार है। जल्द ही साथियों से बैठकर बात करेंगे।
भीतरघात की संभावना : अब देखना होगा कि गुर्जर बिरादरी से अतुल प्रधान आते हैं। उन्होंने बीजेपी के फायर ब्रांड नेता संगीत सोम को हराकर सरधना विधानसभा पर अपना परचम लहराया था। अतुल के मन में भी टिकट काटने की टीस है, वहीं गुर्जर भी नाराज होगा कि उनके व्यक्ति को पहले टिकट दिया और फिर वापस ले लिया। भीतरघात की संभावना से इंकार नही किया जा सकता है।
भाजपा धर्म के आधार पर रामायण के राम यानी अरुण गोविल को मैदान में उतार चुकी है। सुनीता वर्मा कलाकार अरुण को बाहरी बताते हुए अपने को मेरठिया बहु के नाम पर वोट मांगेंगी । उनका कहना है कि जब वे मेयर थीं तब उन्होंने बहुत विकास कार्य किए हैं, उनकी जीत सर्व समाज और जनता का प्यार होगा।