भोपाल। लोकसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है, बालाघाट संसदीय क्षेत्र से भी दावेदारों के नाम सामने आने लगे है। बालाघाट लोकसभा क्षेत्र में जिले की 6 विधानसभा सीटों के साथ सिवनी जिले की भी 2 विधानसभा सीटें शामिल हैं। लिहाजा यहां से दावेदार बालाघाट से लेकर दिल्ली तक जोर लगा रहे हैं। विधानसभा चुनाव में शानदार प्रदर्शन के बाद बीजेपी में लोकसभा चुनाव की लेकर भी जबरदस्त उत्साह है। यही वजह है कि बीजेपी में कई मजबूत चेहरे अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। बालाघाट लोकसभा सीट 1998 से बीजेपी के कब्जे में है।
फिलहाल ढाल सिंह बिसेन यहां से सांसद हैं। माना जा है कि इस बार पार्टी किसी नए चेहरे पर दांव लगा सकती है। मौजूदा सांसद बिसेन जहां फिर चुनावी मैदान में उतरने की इच्छा जता रहे हैं। तो वहीं पार्टी के और भी सीनियर और युवा चेहरे उम्मीदवारी की कतार में हैं।
सात बार विधायक और 2 बार सांसद रह चुके गौरीशंकर बिसेन का नाम भी सियासी गलियारों में जोर शोर से लिया जा रहा है। हालांकि अपने राजनीतिक जीवन में लगातार जीत का परचम लहराते रहे गौरीशंकर बिसेन को विधानसभा चुनाव में शिकस्त का सामना करना पड़ा था। पूर्व राज्यमंत्री रामकिशोर कावरे भी दावेदारों को कतार में हैं। हाल ही में जिला बीजेपी के अध्यक्ष बने कावरे परसवाड़ा सीट से बड़े अंतर से चुनाव हारे थे।
वरिष्ठ भाजपा नेता राजेश पाठक भी बालाघाट सिवनी लोकसभा सीट से उम्मीदवार के रूप में सामने आ सकते हैं। 2008 के विधानसभा चुनाव में बालाघाट से पाठक ने चुनाव लडा और मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई थी। पाठक मध्यप्रदेश कबड्डी संघ के उपाध्यक्ष हैं साथ ही सर्व ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष भी हैं। लंबे समय से सार्वजनिक जीवन और समाजसेवा के क्षेत्र में काम कर रहे राजेश पाठक पूरे लोकसभा क्षेत्र में जाना पहचाना नाम है। राजेश पाठक विगत 25 वर्षों से जिला कबड्डी संघ और सर्व ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष भी हैं।
युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष वैभव पवार पूरी ताकत से दावेदारी कर रहे हैं। अगर पार्टी युवा चेहरे पर दांव लगाती है तो वैभव को मौका मिल सकता है।
दावेदारों में एक और नाम भारती पारधी का है। भारती जिला पंचायत सदस्य रहने के अलावा लंबे समय से विधानसभा और लोकसभा दावेदार के रूप में देखी जाती रही हैं। अगर महिला कार्ड चलता है तो भारती पारधी का दावा मजबूत माना जाएगा। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में बालाघाट जिले कि 6 में से 4 विधानसभाओं में कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया था। ऐसे में उम्मीदवार चयन में भाजपा को जमीनी हकीकत को समझते हुए ही फैसला लेना होगा।