Kapil Sibal made this request to the Supreme Court regarding EVM data : राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया कि निर्वाचन आयोग को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) के 'लॉग' को कम से कम दो से 3 साल तक सुरक्षित रखने और मतगणना से पहले प्रत्येक चरण के मतदान के रिकॉर्ड की घोषणा करने का निर्देश दिया जाए ताकि कोई भी सदस्य गैरकानूनी ढंग से न चुना जा सके।
सिब्बल ने यह भी कहा कि यदि चुनाव आयोग फॉर्म 17सी अपलोड नहीं कर सकता है तो राज्य निर्वाचन अधिकारी डेटा अपलोड कर सकता है। फॉर्म 17सी में हर बूथ पर कुल मतदान का आंकड़ा दर्ज होता है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हर मशीन में एक ऑपरेटिंग सिस्टम होता है, जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में भी है। ईवीएम के इस 'लॉग' को सुरक्षित रखा जाना चाहिए। यह हमें बताएगा कि मतदान किस समय समाप्त हुआ और कितने वोट अवैध थे। यह हमें बताएगा कि किस समय मतदान हुआ, वोट डाले गए। इसलिए यह सबूत है जिसे सुरक्षित रखा जाना चाहिए।
सिब्ब्ल का कहना था कि निर्वाचन आयोग आयोग आमतौर पर इस डेटा को 30 दिनों तक रखता है, लेकिन यह महत्वपूर्ण डेटा है जिसे लंबे समय के लिए चुनाव आयोग द्वारा संरक्षित किया जाना चाहिए। वरिष्ठ अधिवक्ता ने निर्वाचन आयोग से आग्रह किया कि चुनाव आयोग को इन 'लॉग' को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया जाए और मतगणना से पहले सभी चरणों का रिकॉर्ड सार्वजनिक किया जाए ताकि कोई भी सांसद गैरकानूनी तरीके से न चुना जाए।
उन्होंने कहा कि हमें यह भी जानने की जरूरत है कि जब संशोधित आंकड़े दिए गए तो मतदान प्रतिशत कैसे बढ़ा? निर्वाचन आयोग ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि मतदान केंद्रवार मतदान प्रतिशत डेटा को बिना सोचे-समझे जारी करने और वेबसाइट पर पोस्ट करने से चुनावी मशीनरी में भ्रम की स्थिति पैदा हो जाएगी, जो इस समय लोकसभा चुनाव में व्यस्त है।
आयोग ने कहा कि एक मतदान केंद्र में डाले गए वोटों की संख्या बताने वाले फॉर्म 17सी का विवरण सार्वजनिक नहीं किया जा सकता और इससे पूरे चुनावी तंत्र में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है क्योंकि इससे तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की संभावना बढ़ जाती है।(भाषा)
Edited By : Chetan Gour