Lok Sabha Election : कर्नाटक के आदिवासियों को आधे अधूरे प्रलोभनों से फुसला रहे नेता
						
		
						
				
बुनियादी सुविधाओं का है नितांत अभाव
			
		          
	  
	
		
										
								
																	Lok Sabha Election 2024 : कर्नाटक में नागरहोल के जंगलों में जेनू कुरुबा जनजाति (Jenu Kuruba tribe) के करीब 60 परिवारों की बस्ती नागरहोल गड्डे हाडी वर्षों से कई बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रही है और चुनाव (elections) के नजदीक आते ही राजनीतिक दलों के नेता यहां के मतदाताओं (voters) को आधे-अधूरे प्रलोभनों के जरिए फुसलाने की कोशिश करते हैं।
 
									
			
			 
 			
 
 			
					
			        							
								
																	
									
										
								
																	
	 
	बस्ती में एक नई आंगनवाड़ी में बैठे 3 से 10 वर्ष की आयु के बच्चों की खुशी जाहिर है। बच्चे जानते हैं कि यह एक विशेषाधिकार है, जो उनसे पहले किसी को नहीं मिला। यह आंगनवाड़ी वन्य बस्ती में बनी इकलौती पक्की संरचना है। आंगनवाड़ी कार्यकर्जा जे के भाग्या ने बेंगलुरु में बताया कि 12 फुट लंबा और 12 फुट चौड़ा यह कमरा कई वर्षों की खुशामद के बाद संभवत: चुनाव नजदीक आने के कारण पिछले साल जुलाई में बना था।
 
									
											
									
			        							
								
																	
	 
	सरकार से लड़ाई जारी : उन्होंने बांस की एक संरचना दिखाते हुए कहा कि हमें शौचालय भी मिल गया है। इससे पहले हम खुले में काम कर रहे थे। इस बस्ती के प्रमुख जे के थिम्मा ने बताया कि जेनू कुरुबा समुदाय दशकों से मूलभूत सुविधाओं जैसे कि भूमि अधिकार, पानी तथा बिजली तक पहुंच के लिए सरकार से लड़ रहा है। थिम्मा 'नागरहोल बुडाकट्टू जम्मा पाली हक्कुस्थापना समिति' के भी अध्यक्ष है जिसके बैनर तले यह समुदाय अक्सर अपने बुनियादी अधिकारों की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन करता है।
 
									
											
								
								
								
								
								
								
										
			        							
								
																	
									
					
			        							
								
																	
	 
	नागरहोल बाघ अभयारण्य की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार यह वन 45 आदिवासी बस्तियों या जेनू कुरुबा, बेट्टा कुरुबा, एरावास और सोलिगा समुदायों के 1,703 परिवारों का घर है। इसमें कहा गया है कि वन में रह रहे आदिवासियों के लिए केंद्र और राज्य सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाएं बनाई हैं।
 
									
					
			        							
								
																	
	 
	हमें जंगलों से निकालने की कोशिश की : हालांकि थिम्मा का कुछ और ही कहना है। उन्होंने कहा कि वर्षों तक उन्होंने हमें कुछ भी न देकर इन जंगलों से निकालने की कोशिश की है। इतने वर्षों में हम यह सीख गए हैं कि कागज पर कई कल्याणकारी योजनाएं हैं लेकिन इनका लाभ बमुश्किल ही हम तक पहुंचता है। हमारे साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय से निपटने के लिए 2006 में वन अधिकार कानून पारित किया गया।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	थिम्मा ने कहा कि हमने 2009 में इसके प्रावधानों के अनुसार अपने आवेदन जमा कराए थे लेकिन हम अब भी इंतजार कर रहे हैं। जिन लोगों को इन योजनाओं को लागू करने के लिए नौकरी पर रखा गया है, उन्हें वक्त पर अपना वेतन मिल जाता है लेकिन हमें बमुश्किल ही ये लाभ मिल पाते हैं। अब लोकसभा चुनाव से पहले जल जीवन मिशन के तहत 6 महीने पहले प्रत्येक घर को नल कनेक्शन दिया गया और ज्यादातर को पीएम जनमन के तहत 400 वर्ग फुट पक्का मकान की स्वीकृति दी गई है।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	जे एस रामकृष्ण (43) ने कहा कि लेकिन अभी तक नल में पानी नहीं आ रहा है। मुझे उम्मीद है कि हमें अगले चुनाव तक पानी मिल जाएगा। नागरहोल से करीब 70 किलोमीटर दूर एक छोटे से शहर इरुमद में रहने वाले लोगों के लिए स्थिति अलग नहीं है। यहां रहने वाले कुरुम्बा ने हड्डी जोड़ने के अपने पारंपरिक कौशल के कारण स्थानीय लोगों और आसपास के शहरों में प्रसिद्धि हासिल की है।
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	कुरुम्बा की एक बस्ती 'कुडी' में चुनाव का जिक्र आते ही आदिवासी हंसी उड़ाते हैं। हालांकि वे जानते हैं कि यही वह समय है, जब उन्हें अपनी मांगों पर सबसे ज्यादा जोर देना है। पिछले कुछ वर्षों में चुनाव के समय अपनी मांगों को उठाने वाले इरुमद को पानी और बिजली तथा पक्का मकान मिल गया है। कर्नाटक में 26 सीटों पर लोकसभा चुनाव 2 चरणों में 26 अप्रैल और 7 मई को होगा।(भाषा)(सांकेतिक चित्र)
 
									
			                     
							
							
			        							
								
																	
	 
	Edited by : Ravindra Gupta