मेनका गांधी के बेटे सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) केंद्र के तीन कृषि कानूनों के आने के बाद से ही अपनी पार्टी और सरकार के खिलाफ मुखर रहे। वरुण रोजगार और स्वास्थ्य समेत कई मुद्दों पर भाजपा के खिलाफ आवाज उठाई। वरुण गांधी को पीलीभीत से टिकट नहीं दिया गया है। वरुण की जगह जितिन प्रसाद को भाजपा ने मैदान में उतारा। वैसे पार्टी ने उनकी मां मेनका गांधी पर भरोसा जताया, जिन्हें सुल्तानपुर से फिर से टिकट दिया गया है। सवाल उठ रहे हैं कि अब वरुण गांधी का अगला कदम क्या होगा।
सपा का साथ या फिर निर्दलीय : सांसद वरुण गांधी और उनकी मां मेनका गांधी गत साढ़े तीन दशक से पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करते रहे हैं। राजनीतिक गलियारे में वरुण गांधी को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। 2019 के चुनाव में वरुण गांधी पीलीभीत संसदीय सीट से चुनाव लड़कर लगभग ढाई लाख से ज्यादा मतों से जीते थे। क्या समाजवादी पार्टी वरुण गांधी को टिकट दे सकती है? या फिर वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे?
क्या पार्टी दिखा रही है बाहर का रास्ता : पीलीभीत स्टेशन पर आयोजित एक कार्यक्रम में वरुण गांधी ने भाजपा नेताओं के साथ मंच साझा किया था और इसके बाद से ही उनके और पार्टी के बीच चीजें ठीक होने की बातें की जा रही थीं।
वरुण गांधी ने इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा भी की थी। हालांकि रविवार को वरुण गांधी का टिकट काट दिया गया। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि पार्टी उन्हें बाहर का रास्ता दिखा रही है।
खरीदे थे नामांकन के चार सेट : बुधवार को सांसद वरुण गांधी के प्रतिनिधियों ने आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए नामांकन पत्रों के चार सेट खरीदे थे। वरुण गांधी के प्रवक्ता एम.आर. मालिक ने बताया कि गांधी के निर्देश पर उन्होंने नामांकन पत्रों के चार सेट खरीदे हैं, जिनमें दो हिंदी और दो सेट अंग्रेजी भाषा में हैं। एजेंसियां