Kshatriya Samaj Protest in Gujarat: केन्द्रीय मंत्री एवं राजकोट लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार द्वारा क्षत्रिय समाज के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर समाज का गुस्सा शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। जामनगर के पास आयोजित क्षत्रिय अस्मिता महासम्मेलन में राजपूत समाज के नेताओं ने कहा कि वे किसी भी सूरत में झुकेंगे नहीं। सम्मेलन में समाज के लोगों से आग्रह किया गया कि वे भाजपा के खिलाफ वोट करें। इतना ही नहीं कई स्थानों पर समाज के धर्म घूम रहे हैं और समाज के लोगों से भाजपा को वोट नहीं देने की अपील कर रहे हैं। क्षत्रिय समाज लोकसभा चुनाव में कितना असर डालेगा यह परिणाम के बाद ही पता चलेगा, लेकिन फिलहाल भाजपा की मुश्किल जरूर बढ़ गई है।
रूपाला के बयान से शुरू हुआ क्षत्रिय आंदोलन गुजरात में धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा है। जामनगर-राजकोट हाईवे पर खिजड़िया बाइपास के पास आयोजित क्षत्रिय अस्मिता महासम्मेलन में जामनगर सहित पूरे गुजरात से क्षत्रिय समाज के नेता, करणीसेना और बड़ी संख्या में राजपूत समाज के लोग शामिल हुए। राजपूत समाज के लोगों ने आंदोलन को तेज करने के लिए एक कमेटी बनाने का भी फैसला किया है।
सम्मेलन में क्षत्रिय समाज के नेताओं ने कहा कि भाजपा को समझाने की कोशिश की थी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। अब समाज किसी भी सूरत में झुकने को तैयार नहीं है। राजपूत समाज के भाई-बहन 7 मई को मतदान के दिन जय भवानी के नारे के साथ भाजपा के विरोध में मतदान करेंगे।
क्या कहा नयना जडेजा ने : क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की बहन नयनाबाहम बीजेपी के खिलाफ वोट करने और करवाने की शपथ लेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जाम साहब शत्रुशल्य सिंह से मिलकर अपना कर्तव्य निभाया है और जाम साहब ने भी मोदी के समर्थन में अपील कर अपना कर्तव्य निभाया है। लेकिन, इससे आंदोलन पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
5 लाख की बढ़त पी चुप्पी : इधर, लोकसभा चुनाव में उम्मीदवारों की घोषणा होने तक 5 लाख की बढ़त की चर्चा जोरों पर थी, लेकिन कुछ ही देर बाद भाजपा की आंतरिक गुटबाजी और रूपाला की टिप्पणी से क्षत्रिय समाज में भड़के विरोध प्रदर्शन ने कई सीटों पर भाजपा की मुश्किल को बढ़ा दिया है। अब भाजपा नेता अपने भाषणों में 5 लाख की लीड की बात नहीं करते। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अपने विधानसभा में उम्मीदवार को भारी बहुमत से जिताने की बात करते हैं।
कुछ दिन पहले साबरकांठा में आयोजित सहकारिता सम्मेलन में पाटिल ने सहकारी क्षेत्र से जुड़े लोगों से कहा था कि इस चुनाव में अगर आपके क्षेत्र में उम्मीदवार 5 लाख की लीड नहीं ले पा रहा है तो आप इसे पूरा करें। भाजपा नेताओं का अब मानना है कि मौजूदा हालात में बीजेपी उम्मीदवारों के लिए बढ़त से ज्यादा अहम जीत हो गई है। कई जगहों पर जाति समीकरण तो कुछ सीटों पर अंदरूनी कलह को लेकर विपरीत स्थिति पैदा हुई है।
संतोष का असंतोष : कुछ समय पहले बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष गुजरात आए थे। उन्होंने इस बात पर भी असंतोष व्यक्त किया कि कार्यकर्ता यहां विशेष जनसंपर्क नहीं कर सके और घर-घर जाकर प्रत्याशियों का प्रचार नहीं हो सका। उन्होंने यह भी संदेह व्यक्त किया कि यदि चुनाव में हार हुई तो भाजपा के लिए स्थिति गंभीर हो सकती है।
आणंद में टक्कर : राज्य की 26 लोकसभा सीटों में से आणंद एकमात्र सीट है, जहां पाटीदार और क्षत्रिय उम्मीदवार के बीच सीधा मुकाबला है। इस सीट पर क्षत्रिय और पाटीदार उम्मीदवारों के बीच 11 बार सीधा मुकाबला हुआ है, जिसमें 6 बार क्षत्रिय और 4 बार पाटीदार उम्मीदवार जीते हैं। एक बार निर्दलीय उम्मीदवार ने यहां से जीत हासिल की है। इस बार क्षत्रिय आंदोलन के बीच समीकरण बदल गए हैं। कांग्रेस उम्मीदवार अमित चावड़ा इस विवाद का फायदा मिल सकता है। चावड़ा आणंद सीट पर मजबूत उम्मीदवार माने जा रहे हैं। आनंद लोकसभा सीट पर 1957 से 2019 तक हुए 16 चुनावों में कांग्रेस ने 10 बार जीत हासिल की है।
गुजरात की 26 में से 26 लोकसभा सीटें जीतने के लिए भाजपा पूरी ताकत लगा रही है। वहीं, कांग्रेस गुजरात में कमबैक करती हुई दिखाई दे रही है। कांग्रेस का 10 सीटें जीतने का दावा भले ही अतिशयोक्ति हो सकता है, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं की उसकी ताकत में इजाफा हुआ है।
आणंद सीट पर क्षत्रिय समाज की नाराजगी की असर देखने को मिल सकता है। आणंद लोकसभा क्षेत्र में अब तक बंटे हुए क्षत्रिय इस चुनाव में एकजुट हो गए हैं। क्षत्रिय आंदोलन प्रभावी हुआ तो इस सीट पर भाजपा को सीधा नुकसान होगा। आणंद लोकसभा सीट पर करीब 60 फीसदी क्षत्रिय मतदाता हैं। इसके बावजूद भाजपा को उम्मीद है कि भाजपा यहां एकतरफा जीत हासिल करेगी।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala