Will Nitish and Chandrababu become kingmakers: चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी (TDP) 15 सीटों के साथ दूसरी और नीतीश का जनता दल यू (JDU) 12 सीटों के साथ NDA में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। दोनों ही पार्टियां इस वक्त भाजपा के लिए जरूरी हैं। बीजेपी को 240 सीटों पर जीत मिली है और बहुमत के लिए 272 का आंकड़ा चाहिए। हालांकि, एनडीए को 292 सीटें मिली हैं। यहां सबसे बड़ी बात यह है कि नरेंद्र मोदी के केंद्र में आने के बाद नीतीश कुमार और नायडू के संबंध बीजेपी से बहुत कड़वाहट भरे रहे हैं।
गुजरात दंगों के समय नायडू ने किया मोदी का विरोध : ध्यान देने वाली बात यह है कि जब गुजरात में 2002 में दंगे हुए थे, तो चंद्रबाबू नायडू एनडीए के पहले ऐसे नेता थे जिन्होंने बतौर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के इस्तीफे की मांग की थी। 2018 में चंद्रबाबू नायडू ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर एनडीए का साथ छोड़ दिया था और केंद्र में अपने दो मंत्रियों को भी हटा लिया था। नायडू उस समय मोदी सरकार के खिलाफ सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाए थे। तब चंद्रबाबू नायडू ने एक ट्वीट कर कहा था कि मोदी ने योजनाबद्ध तरीके से भारत के प्रतिष्ठित संस्थानों को नष्ट कर दिया है, संस्थागत स्वायत्तता और लोकतंत्र पर हमला किया।
इसी तरह, आंध्र प्रदेश की एक चुनावी रैली में नरेंद्र मोदी ने 2019 में चंद्रबाबू नायडू को अपने ससुर के पीठ में छुरा घोंपने वाला बताया था। इसी दौरान अमित शाह ने भी एक भाषण में चंद्रबाबू नायडू को 'अवसरवादी' बताते हुए कहा था कि एनडीए के दरवाजे उनके लिए हमेशा बंद हैं।
ALSO READ: लोकसभा चुनाव 2024 की 10 बड़ी जीत, इंदौर के शंकर लालवानी टॉप पर
नीतीश ने मोदी के चलते छोड़ा था एनडीए : नीतीश कुमार ने जब 2013 में एनडीए छोड़ा तो उसकी वजह नरेंद्र मोदी ही थे। तब बीजेपी ने नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाया, जो नीतीश कुमार को बिल्कुल पसंद नहीं आया था। उल्लेखनीय है कि मोदी की मुस्लिम विरोधी छवि के कारण नीतीश कुमार ने 2013 से पहले, यानी 2005 और 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को बिहार में चुनाव प्रचार तक करने नहीं आने दिया था। इसके बाद 2019 में नीतीश फिर एनडीए के साथ आए और लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 में से 39 सीटों पर एनडीए को जीत मिली थी।
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की जेडीयू बिहार में तीसरे नंबर की पार्टी बनी, लेकिन एनडीए की सरकार में वह मुख्यमंत्री बने। फिर 2022 में नीतीश आरजेडी के साथ आ गए। इसके बाद, एक बार फिर 2024 जनवरी में वह पाला बदल कर भाजपा के साथ आ गए।
सम्राट चौधरी से नहीं मिले नीतीश : मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार को बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कई बार नीतीश कुमार से मिलने की कोशिश की, लेकिन नीतीश कुमार उनसे नहीं मिले। इसके बाद, नीतीश के सम्राट चौधरी से ना मिलने और कोई प्रतिक्रिया ना देने को लेकर चर्चा शुरू हो गई कि इंडिया ब्लॉक ने नीतीश कुमार को अप्रोच किया है। कहानी में ट्विस्ट तब आया जब कांग्रेस के कई नेताओं ने कहा कि नीतीश जी सबके हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार किसके हैं? इस बात पर भी लोगों की नजर रहेगी कि मोदी और शाह के साथ नायडू और नीतीश कैसे सरकार बनाते हैं।