Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

अतिविश्वास ले डूबा भाजपा को

Advertiesment
हमें फॉलो करें अतिविश्वास ले डूबा भाजपा को
भोपाल (नई दुनिया) , रविवार, 17 मई 2009 (10:42 IST)
राजेश सिरोठिया

मध्यप्रदेश के नतीजों ने भाजपा को झकझोरकर रख दिया है। नतीजे जहाँ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुरेश पचौरी को नई ऊर्जा देंगे, वहीं भाजपा नेताओं में हार का ठीकरा एक-दूसरे के सिर फोड़ने का खेल भी शुरू होगा।

लालकृष्ण आडवाणी ने भले ही कार्यकर्ताओं को 2004 की हार से सबक लेते हुए अति आत्मविश्वास से बचने की सलाह दी थी, लेकिन भाजपा में जो टिकट बँटे थे उनसे विश्वास का यह अतिवाद सिर चढ़कर बोलता दिखाई दे रहा था। कांग्रेस के कई गलत टिकटों और सुरेश पचौरी से लेकर वीणा सिंह विवाद के बावजूद कांग्रेस ने भाजपा को जो झटका दिया, उसने भाजपा को सोचने पर विवश कर दिया है।

अकेले शिवराज की हार नहीं : यह हार अकेले शिवराज सिंह चौहान की नहीं है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव थावरचंद गेहलोत भी हारे हैं। पाँच बार से शाजापुर में जीत रहे गेहलोत को नई सीट देवास के बजाए उज्जैन से लड़ने, पूर्व केंद्रीय मंत्री और पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सत्यनारायण जटिया को उज्जैन के बजाए देवास से लड़ने की सलाह दी गई थी, लेकिन अतिविश्वास में डूबे दोनों ही नेताओं ने इससे इंकार किया और सीटें गँवा बैठे। मंदसौर में डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे के मामले में भी पार्टी को बुजुर्ग हठ के सामने नतमस्तक होना पड़ा और मतदाताओं ने युवा मीनाक्षी नटराजन पर भरोसा जताया।

भोपाल में कैलाश जोशी जैसे-तैसे जीत गए, पर रीवा में चंद्रमणि त्रिपाठी की हालत का अंदाजा पहले से ही लग रहा था। सागर में भूपेंद्रसिंह ठाकुर जीते जरूर पर बाहरी असलम की जगह कोई और होता तो वहाँ भी गड़बड़ हो सकती थी। विदिशा में कांग्रेस प्रत्याशी की गैर मौजूदगी में सुषमा स्वराज की जीत भले ही सबसे बड़ी (3 लाख 89 हजार) दिखती हो, पर भाजपा के दिग्गज प्रत्याशी नरोत्तम मिश्रा के सामने ज्योतिरादित्य सिंधिया की 2 लाख 48 हजार वोटों से जीत सबसे बड़ी जीत मानी जाएगी।

किसके सिर फूटेगा हार का ठीकरा : लेकिन मालवा में भाजपा हार का ठीकरा किसके सिर फोड़ेगी? राजगढ़ और देवास-शाजापुर और उज्जैन की हार की आँच प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री माखनसिंह को भी झुलसाएगी। कांग्रेस के गढ़ झाबुआ में मुख्यमंत्री का सपना था कि रतलाम-झाबुआ सीट पर भगवा परचम फहराए इसीलिए कमान भरोसेमंद कैलाश विजयवर्गीय को दी गई थी, लेकिन कांतिलाल भूरिया ने इसे साकार नहीं होने दिया। विजयवर्गीय को धार, खरगोन और खंडवा की कमान भी सौंपी गई थी। इनमें से खरगोन सीट तो भाजपा जीत गई, लेकिन धार मात्र दो हजार वोटों से गँवा बैठी।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi