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आडवाणी की राह में अपनों के काँटे

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नई दिल्ली , सोमवार, 27 अप्रैल 2009 (14:14 IST)
-मनोज वर्मा
यह भाजपा की अंदरूनी राजनीति का ही कमाल है कि 2009 के आम चुनाव में एक ओर जहाँ वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी प्रधानमंत्री बनने के लिए रात-दिन एक कर रहे हैं वहीं पार्टी के दूसरी पंक्ति के नेता 2014 में भाजपा का भावी प्रधानमंत्री कौन होगा, इसे लेकर राजनीति कर रहे हैं। इस बीच दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना ने जालंधर में कह दिया कि यदि पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी बीमार नहीं होते तो वे ही प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होते।

आडवाणी के बाद भाजपा के पीएम इन वेटिंग के तौर पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम तेजी से उछाला जा रहा है। यह काम कभी उद्योगपति करते हैं तो कभी भाजपा नेता ही मोदी का नाम भावी प्रधानमंत्री के तौर पर जपने लगते हैं। लेकिन आडवाणी से जब यह सवाल किया जाता है कि भाजपा में भविष्य के तौर पर किसे देखते हैं तो वे इस सवाल का जवाब टाल जाते हैं।

अरुण शौरी के बाद आडवाणी के प्रिय पात्र अरुण जेटली और वेंकैया नायडू ने भी कहा कि आडवाणी के बाद मोदी प्रधानमंत्री पद के अगले दावेदार हो सकते हैं। हालाँकि भावी प्रधानमंत्री के तौर पर जिस तरह मोदी का नाम उछाला जा रहा है वह पार्टी में दूसरी पंक्ति के कुछ नेताओं को रास नहीं आ रहा है।

इसी प्रकार कंधार मामले पर पूर्व विदेश मंत्री जसवंतसिंह के ताजा बयान से पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी के समर्थक नाराज हैं। जसवंत ने अपने बयान में खुलासा किया है कि कंधार कांड के दौरान आडवाणी आतंकवादियों को छोड़ने के पक्ष में नहीं थे लेकिन वाजपेयी के कहने पर राजी हुए। जाहिर है, अपनी बोली से अपने लोग ही आडवाणी की राह में काँटे बिछा रहे हैं।

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