देश के राजनेताओं को इस बार चुनाव में लगभग दस लाख की आबादी वाले किन्नरों की कड़ी नाराजगी का सामना करना पड़ सकता है। किन्नरों ने चुनाव आयोग से माँग की है कि अगर उन्हें मतदाता पहचान पत्र में महिला और पुरुष से इतर तीसरे लिंग के दर्जे का विकल्प नहीं दिया गया तो वे चुनाव का बहिष्कार करेंगे।
वर्ष 1994 से वोट देने का अधिकार प्राप्त किन्नर लंबे समय से अपने लिए तीसरे दर्जे की माँग कर रहे हैं। ऐसा न होने पर उन्होंने इस बार चुनावों से दूर रहने का निर्णय लिया है।
किन्नरों के लिए काम करने वाले गैरसरकारी संगठन अस्तित्व के संस्थापक और सक्रिय किन्नर कार्यकर्ता लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि हमारी माँगें पूरी नहीं की जाएगी तो हम इस बार वोट नहीं देंगे। यह हमारी पहचान का प्रश्न है। हम सरकार से चाहते हैं कि वह मतदाता पहचान पत्र में हमें तीसरे लिंग का दर्जा दें।
उन्होंने प्रश्न उठाया हम अपने समुदाय को शोषण से बचाने के लिए ऐसा चाहते हैं। हम अपने आप को पुरुष या महिला का दर्जा नहीं देना चाहते और हम ऐसा दर्जा क्यों लें।
हालाँकि कई किन्नरों के मतदाता परिचय पत्र पर उन्हें महिला का दर्जा मिला हुआ है पर किन्नर अनिता ने बताया परिचय पत्र पर महिला दर्ज होने के बाद भी हमें न तो महिला और न पुरुषों की पंक्ति में खडे़ होने देते हैं। स्वतंत्रता मिलने के 62 साल बाद भी हमें अपनी पहचान के लिए लड़ना पड़ रहा है। इसी कारण हमारे समुदाय ने इस बार वोट न देने का निर्णय लिया है।
पिछले कुछ सालों में किन्नर समुदाय को कई अधिकार मिले हैं। पासपोर्ट और कई सरकारी दस्तावेजों में किन्नरों के लिए 'नपुंसक' विकल्प दिया जाना लगा है।
कई किन्नर महिला के रूप में सार्वजनिक कार्यालयों में काम कर रहे हैं। मध्यप्रदेश की सोहागपुर विधानसभा क्षेत्र से 1998 में किन्नर शबनम मौसी विधायक के रूप में भी चयनित हुई हैं। तो वहीं इन चुनावों में गाजियाबाद लोकसभा सीट से भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के सामने एक किन्नर दया हाजी भी है।